देश तुम्हें निर्दोशी चिताओं की कसम
उनकी बेवाऔं की व्यथाओं की कसम
घाटी पर घिरती घटाओं की कसम
खौफनाक बारूदी हवाओं की कसम
आज के शहीदों की हत्याओं की कसम
सेना की फड़कती भुजाओं की कसम
पापियों पे जम के प्रहार कीजिए
ऐसे कायरों का अब संहार कीजिए
*अक्षत*
*अब इससे ज्यादा कुछ नहीं सहना*
*घर में घुसकर मारा जाये, कल ये हम सभी के साथ कहीं भी हो सकता है, सोचिए क्या हाल होगा उन परिवारो का*