*नमस्ते जी
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“आचार्य संजीव रूप ”
*वैशाख – कृष्ण – पञ्चमी – २०८२*
*1 8 अप्रैल 2025*
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दिन —– *शुक्रवार*
तिथि — *पंचमी*
नक्षत्र — *मूल*
पक्ष —— *कृष्ण*
माह– — *वैशाख*
ऋतु ——- *बसंत*
सूर्य —- *उत्तरायण*
गोल – *उत्तर*
विक्रम सम्वत — 2082
दयानन्दाब्द — 201
शक सम्बत -. 1946
कलयुगाब्द,: 5127
सृष्टिसम्वत- 1960853126
*सूर्योदय-/सूर्यास्त* (दिल्ली- 5:53/ 6ः 49 (लखनऊ : 5: 40/ 6:32
सूर्य : मेष राशि / चन्द्र : धनु
ब्रह्म मुहूर्त : 4:30 से 5:18
*रूप वाणी*
खर्चे करो हाफ , लेनदेन रखो साफ, स्वास्थ का रखो ध्यान , बनो चरित्रवान, सबसे करो प्यार, यथा योग्य व्यवहार, रहोगे सुखी – न होगे दुःखी ।
*पहला सुख निरोगी काया*
सेब : सेब में मैलिक एसिड रहती है यह ऑतों,यकृत और मस्तिष्क के लिए उपयोगी है इसमें फास्फोरस होता है तथा जलन करने वाला पदार्थ जिसे खाने से पेट साफ होता है और आमाशय को पुष्टि प्राप्त होती है !
*संजीव रूप*
सरस वेदकथाकार,पुरोहित,कवि
-यज्ञतीर्थ- गुधनी-बदायूँ(उप्र)
9997386782 wu 9870989072
*हिन्दी संकल्प पाठ*
हे परमात्मन् आपको नमन! आपकी कृपा . मैं आज एक यज्ञ कर्म को तत्पर हूँ, आज एक ब्रह्म दिवस के दूसरे प्रहर कि जिसमें वैवस्वत मन्वन्तर वर्तमान है,अट्ठाईसवीं चतुर्युगी का कलियुग वर्तमान है। सृष्टिसम्वत एक अरब छियाननवे करोड़ आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ छब्बीसवां है,कलियुगाब्द 5127, विक्रम सम्वत् दो हजार बियासी है,दयानन्दाब्द 2O1 वां है, सूर्य उत्तर अयन में उत्तर गोल में वर्तमान है ,कि *ऋतु बसंत, *मास वैशाख *कृष्ण पक्ष- तिथि- पंचमी,नक्षत्र मूल है, आज शुक्रवार है,18 अप्रैल 2025* को भरतखण्ड के आर्यावर्त देश के अंतर्गत, ..प्रदेश के ….जनपद…के ..ग्राम/शहर…में स्थित (निज घर में,या आर्यसमाज मंदिर में मैं …अमुक गोत्र में उत्पन्न, पितामह श्री ….(नाम लें ).के सुपुत्र श्री .(पिता का नाम लें)उनका पुत्र मैं …आज सुख ,शान्ति ,समृद्धि के लिए तथा आत्मकल्याण के लिए प्रातः वेला में यज्ञ का संकल्प लेता हूँ!(ऋत्विक वरण)- जिसके निर्देशक /ब्रह्मा के रूप में आप आचार्य….. श्री का वरण करता हूँ,
*संस्कृत संकल्प पाठ:*
ओं तत्सद्।श्री ब्रह्मणो दिवसे द्वितीये प्रहरार्धे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे , एकोवृन्दः षण्णवतिकोटि: अष्टलक्षाणि त्रिपञ्चाशत्सहस्राणि षड्विंन्शत्युत्तरशततमे सृष्टिसंवत्सरे, पञ्चसहस्त्राणि सप्तविंशत्युत्तरशततमे कलियुगे, द्वयशीति द्विसहस्रतमे वैक्रमाब्दे ,, शाके १९४५ दयानन्दाब्दे( एकाधिकद्वि शततमे ) 201 , रवि उत्तरायणे, उत्तर गोले,*बसंत* ऋतौ, वैशाख मासे, कृष्ण पक्षे, पञ्चमी तिथि, * मूल नक्षत्र, शुक्रवासरे तदनुसारम् आङ्गलाब्द 2025 … अप्रैल मासः, 18
दिनाङ्क*।
जम्बूद्वीपे,…
भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर् गते ………प्रदेशे ,……..जनपदे.. ..नगरे……गोत्रोत्पन्नः….श्रीमान्.(पितामह)….(पिता..).पुत्रस्य… अहम् .'(स्वयं का नाम)…..अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शान्ति समृद्धि हितार्थआत्मकल्याणार्थम् ,रोग -शोक निवारणार्थम् . सर्वेषां कृते मङ्गलमयं भूयात्!