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सहालग शुरू होते ही मिलावटी पनीर खपाने की तैयारी में धंधेबाज

बदांयू 15 अप्रैल। सहालग सोमवार से शुरू हो गये है। इसको लेकर बाजार में दूध और पनीर की मांग बढ़ गई है। इसका फायदा उठाने के लिए मिलावट करने वाले धंधेबाज सक्रिय हो गए हैं। पाउडर और पैकेट के दूध में अरारोट मिलाकर बने पनीर सस्ते दर पर धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। मिलावट के इस खेल में सेहत को सुरक्षित रख पाना मुश्किल हो गया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि रकम खर्च करने के बाद भी दूध और पनीर के अलावा दूध से बने शुद्ध खाद्य पदार्थ नहीं मिल पा रहे हैं। इसकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की ओर से एक साल में लिए गए नमूनों की जांच रिपोर्ट मिलावट की तस्दीक कर रही है। जिले में अनुमान के मुताबिक शहर में दुकानों से लेकर घरों में करीब तीन लाख लीटर दूध की खपत प्रत्येक दिन होती है। हालांकि लोगों की मांग के हिसाब से यह घटती-बढ़ती है। त्योहार व अन्य विशेष अवसरों पर इसकी खपत करीब चार लाख लीटर प्रतिदिन तक पहुंच जाती है। जबकि, पशुपालक से करीब एक लाख लीटर दूध की ही आपूर्ति कर पाते हैं। वहीं पैकेट दूध का कारोबार करने वाली कंपनियां भी करीब एक लाख लीटर दूध की आपूर्ति कर रही हैं। शेष बचे एक लाख लीटर दूध की आपूर्ति मिलावट से होती है। उत्पादन कम और खपत अधिक होने का ही लाभ धंधेबाज उठाते हैं। वे गाय-भैंस के 10 लीटर दूध के साथ पाउडर से बना दूध भी उतनी ही मात्रा में मिला देते हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की ओर से एक साल में दूध के करीब 50 से अधिक नमूने लिए थे। इसमें से करीब 30 की रिपोर्ट आई, जिसमें 20 अधोमानक मिले। यानी दूध में मानक के अनुसार तत्व नहीं मिले। इसी तरह प्रयोगशाला भेजे गए पनीर के 15 नमूनों में से 10 अधोमानक मिले हैं। प्रयोगशाला से मिली रिपोर्ट के अनुसार पनीर में फैट 50 प्रतिशत से भी कम मिला है, जो अधोमानक की श्रेणी में आता है। सहालग के दौरान दूध की मांग बढ़ने पर धंधेबाज पानी तो मिलाते ही हैं अब पाउडर से बना दूध भी बाजार में बेच रहे हैं। पशुपालन विभाग के रिपोर्ट के मुताबिक जिले में दूध उत्पादन से ज्यादा खपत है। ऐसे में शुद्धता की गारंटी होना संभव नहीं है। यही हाल पनीर और दूध से बने खाद्य पदार्थों का भी है।

सौम्य सोनी – संवाददाता