सामाजिक क्रांति लाने वाले “बाबा साहब भीमराव डॉ. अम्बेडकर का जन्म समाज और देश को नई दिशा और दशा देने के लिए ही हुआ था।अमानवीय कुरीतियों जैसे छुआछूत, जातिगत, भेदवाव, तिरस्कार और सामाजिक अन्याय आदि को स्वयं भोगा था, परन्तु कभी धैर्य नही खोया। बाबा साहब ने तीन लोगों को अपना गुरु मानते थे गौतम बुद्ध, कबीर दास और महात्मा ज्योतिबा फूले।
बाबा साहब ने सिर्फ भारत के संविधान की नींव रखी, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और मानव अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया “बाबा साहब” सिर्फ संविधान निर्माता ही नहीं, बल्कि संघर्ष, समर्पण और सफलता की जीती-जागती मिसाल हैं। उन्होंने तमाम कठिनाइयों के बावजूद शिक्षा को अपना हथियार बनाया और करोड़ों लोगों को हक और सम्मान दिलाया।
उनकी जयंती पर हम सब यह संकल्प लें कि हम भी शिक्षा, समानता और भाईचारे के रास्ते पर चलकर एक बेहतर समाज का निर्माण करेंगे।
बाबा साहब का जीवन हमें सिखाता है—’ज्ञान’ ही सबसे बड़ा शक्ति है।
आइए आज के दिन हम उनके आदर्शों को अपनाने और एक समतामूलक समाज की दिशा में कार्य करने का संकल्प लें। जय भीम!