8:48 pm Tuesday , 15 April 2025
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रेल मांगी थी कहानी तो नहीं मांगी थी ?

बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ
बदायूं के मतदाताओं की किस्मत कितनी खराब है जो बरेली – कासगंज मार्ग पर सारी व्यवस्था होने के बावजूद लखनउ और दिल्ली को जोडने वाली एक रेलगाडी नहीं मिल पा रही। वंदे भारत देश का नाम रोशन कर रही है परंतु बदायूं वालों के नसीब कितना खराब है कि हमारे पालनहार देश की आजादी का अमृत महोत्सव बदायूं वालों को देश और प्रदेश की राजधानी को जोडने वाली रेलगाडी नहीं दिला पा रहे हैं। हमारे पालनहारों की हालत यह है कि लम्बी दूरी और प्रदेश तथा देश को जोडने वाली रेलगाडियों का जिक्र करते ही एक विक्रम और वेताल की तरह कभी सर्वे होने और कभी जगह कम होने तथा कभी बहुत जल्दी चालू होने की एक नई कहानी सुनाना शुरू कर देते हैं लेकिन बदायूं वालों का सपना पूरा नहीं करा पा रहे हैं।
बदायूं के पालनहार कब तक नई कहानी सुनाएगें इसका जवाब तो पालनहारों के पास होगा पता नहीं कब पालनहारों की नींद टूटेगी और कब नई कहानी की परम्परा खत्म होकर लम्बी दूरी की रेलगाडी बदायूं को मिलेगी।