बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ
बदायूं जिला मुख्यालय एवं जिले के नगरों और उपनगरों की स्थति पर थोडी सा विचार मंथन करें तो ऐसा लगता है कि सत्ताधारी हो या विरोधी पार्टी से जीतकर जनसेवा भले कर रहे हों लेकिन आम जनता के दुख – दर्द से अधिकांश का कोई सरोकार नहीं है पर यह बात कटु सत्य है कि अपने चहेतों और पार्टी के वोटबैंक पर सबकी नजर है जिसके चलते हमारे सांसद हों अथवा विधायक हो अपनों के सुख और दुख में सहभागिता करने में एक – दूसरे आगे निकलने की राह पर चलते दिख रहें और इसी के चलते ऐसा लगने लगा है कि सबकों अपनी और अपनों की चिंता हैं आम आदमी के दर्द को लेकर अधिकांश पूरी तरह बेदर्द दिख रहे हैं।
