बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ
राजनीति में कब कौन क्या योजना लेकर जनता के बीच आ जाये कुछ पता नहीं यह बात बदायूं की राजनीति में सटीक एवं पूरी तरह सत्य साबित होती दिख रही है। केंद्र और प्रदेश की सत्ता की चमक के आगे स्थानीय भाजपाई कुछ देखने और सुनने को तैयार नहीं हैं जबकि मेडीकल कालिज की बदहाली, इस्लामनगर में पार्किंग के बिना पार्किग शुल्क की वसूली, बिसौली में नगर पालिका द्वारा दुकानदारों को दिये जाने वाले नोटिस, सहसवान में मानक के विपरीत हो रहे निर्माण, कुंवरगांव क्षेत्र में होने वाले अवैध कटान और लम्बी दूरी की यात्री ट्रेन को तरसते बदायूं के नागरिकों में कुछ देखने की फुरसत किसी के पास नहीं है। बसपा वाले तो पूरी तरह खामोश बैठे हैं जबकि कांग्रेस में कुर्सी की चाहत ने बेगाने भी ऐसे दीवाने बने नजर आ रहे हैं जैसे उनकी निगाह केवल कुर्सी पर थी और राजनीति केवल कुर्सी तक ही रहेगी। जनपद का प्रमुख विरोधी राजनेतिक दल सपा अभी तो इस राह पर दिख रही है कि उसे नफा कैसे और किसके सहारे होगा। भाजपाइयों के पास प्रधानमंत्री श्री मोदी और मुख्यमंत्री श्री योगी की लोकप्रियता से राजनीति करने के अलावा अपने हाथों में कुछ नहीं है जबकि स्थानीय स्तर पर नगर पालिका चेयरमैन श्रीमती फात्मा रजा अपने पति पूर्व मंत्री आबिद रजा के इशारों पर तीर चलाती नजर आ रही है और श्री रामनवमी के जुलूस वाले मार्ग को श्रीमती रजा द्वारा गडडा मुक्त कराने के काम को आम आदमी पूर्व मंत्री आबिद रजा को बहुसंख्यकों के दिल में जगह बनाने और अपने पति पति की राजनेतिक छवि को सेकूलर बनाने का प्रयास कहा जा रहा है।
