5:26 pm Tuesday , 15 April 2025
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अच्छे व्यवहार का रहस्य

अच्छे व्यवहार का रहस्य
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साधारण मनुष्य अक्सर किसी से नाराज़ हो जाते हैं- या किसी को भला-बुरा कह देते हैं!
पर संतो का स्वाभाव इसके विपरीत- हमेशा सौम्य व् मधुर बना रहता है।
संत तुकाराम का स्वभाव भी कुछ ऐसा ही था,वे न कभी किसी पर क्रोध करते- और न ही किसी को भला-बुरा कहते।
एक बार की बात है: “संत तुकाराम जी” अपने आश्रम में बैठे हुए थे।
तभी उनका एक शिष्य, जो स्वाभाव से थोड़ा क्रोधी था- उनके समक्ष आया और बोला, ”गुरूजी ! आप कैसे अपना व्यवहार इतना मधुर बनाये रहते हैं…? ना आप किसी पे क्रोध करते हैं- और ना ही किसी को कुछ भला-बुरा कहते हैं…?”
कृपया अपने इस अच्छे व्यवहार का रहस्य बताइए।
संत बोले:” मुझे अपने रहस्य के बारे में तो नहीं पता, पर मैं तुम्हारा रहस्य जानता हूँ !”
“मेरा रहस्य! वह क्या है गुरु जी…?”, शिष्य ने आश्चर्य से पूछा:
”तुम अगले एक हफ्ते में मरने वाले हो!”, संत तुकाराम दु:खी होते हुए बोले:
कोई और कहता तो शिष्य ये बात मजाक में टाल सकता था,पर स्वयं संत तुकाराम के मुख से निकली बात को कोई कैसे काट सकता था?

शिष्य उदास हो गया और गुरु का आशीर्वाद ले वहां से चला गया।
उस समय से- शिष्य का स्वाभाव बिलकुल बदल सा गया। वह हर किसी से प्रेम से मिलता- और कभी किसी पे क्रोध न करता, अपना ज्यादातर समय ध्यान और पूजा में लगाता। वह उनके पास भी जाता- जिससे उसने कभी गलत व्यवहार किया हो- और उनसे माफ़ी मांगता।

देखते ही- देखते संत की भविष्यवाणी को एक हफ्ते पूरे होने को आये! शिष्य ने सोचा- चलो एक आखिरी बार गुरु के दर्शन कर आशीर्वाद ले लेते हैं।
वह उनके समक्ष पहुंचा और बोल: ” गुरु जी! मेरा समय पूरा होने वाला है- कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिये!”

“मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है पुत्र!
अच्छा,ये बताओ कि पिछले सात दिन कैसे बीते….? क्या तुम पहले की तरह ही लोगों से नाराज हुए, उन्हें अपशब्द कहे….?”, संत तुकाराम ने प्रश्न किया।
“नहीं-नहीं, बिलकुल नहीं। मेरे पास जीने के लिए सिर्फ सात दिन थे, मैं इसे बेकार की बातों में कैसे गँवा सकता था…? मैं तो सबसे प्रेम से मिला, और जिन लोगों का कभी दिल दुखाया था- उनसे क्षमा भी मांगी, शिष्य तत्परता से बोला।

संत तुकाराम मुस्कुराए और बोले: “बस यही तो मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है।
मैं जानता हूँ- कि मैं कभी भी मर सकता हूँ, इसलिए मैं हर किसी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करता हूँ, और यही मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है।

शिष्य समझ गया- कि संत तुकाराम ने उसे जीवन का यह पाठ पढ़ाने के लिए ही मृत्यु का भय दिखाया था, उसने मन ही मन इस पाठ को याद रखने का प्रण किया- और गुरु के दिखाए मार्ग पर आगे बढ़ गया।.
कहते है की इस कहानी से ओर भी कई बातें सीखने को मिलती है।
1. हर दिन को आखिरी मानकर जिएं:
अगर हमें पता हो कि हमारे पास सीमित समय है, तो हम जीवन में छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा नहीं करेंगे, बल्कि प्रेम और सौहार्द से रहेंगे।
2. क्रोध और द्वेष त्यागें:
नकारात्मक भावनाएं न केवल हमें मानसिक रूप से कमजोर बनाती हैं, बल्कि हमारे रिश्तों को भी खराब करती हैं। संत तुकाराम की तरह हमें भी धैर्य और मधुरता अपनानी चाहिए।

3. सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करें:
अच्छे और प्रेममयी व्यवहार से न केवल हमारा दिल खुश रहता है, बल्कि हमारे आसपास का माहौल भी सकारात्मक बनता है।

4. क्षमा माँगना और क्षमा करना सीखें:
यदि हमने किसी का दिल दुखाया है, तो हमें बिना देर किए उनसे क्षमा मांग लेनी चाहिए। यह हमारे दिल को हल्का और मन को शांत रखता है।
5. मृत्यु का भय जीवन जीने का तरीका सिखाता है:
जब हमें यह एहसास होता है- कि यह जीवन अनमोल और सीमित है,तो हम इसे बेकार की बातों में नहीं गंवाते,बल्कि हर पल को सार्थक बनाने की कोशिश करते हैं।

निष्कर्ष:
संत तुकाराम का यह रहस्य हमें सिखाता है कि जीवन को प्रेम, धैर्य और सौहार्द के साथ जीना चाहिए। जब हम दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, तो हमारा जीवन भी शांति और आनंद से भर जाता है।

गूगल से साभार