।********* उझानी बदायूं 24 मार्च।
उझानी के सिटी हेल्थ केयर मिनी हाॅस्पीटल के पेट रोग विषेषज्ञ डॉ इबा फरमान ने कहा कि अपने बच्चे की सेहत के लिए एक साल के शिशु से मोबाइल दूर रखे। उन्होंने कहा कि
एक साल के शिशु के दिमाग़ के विकास पर मोबाईल असर डालता है।
इस समय शिशु का दिमाग़ नई चीजें सीखता है और मोबाइल स्क्रीन इस विकास को धीमा कर सकता है।
ध्यान केंद्रित करने की क्षमता घटती है – बच्चे की बार-बार
स्क्रीन देखने से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता प्रभावित होती है।
भावनात्मक विकास प्रभावित होता है। छोटे शिशु को
माता-पिता के स्पर्श और बातचीत की ज़रूरत होती है, मोबाइल यह कम कर सकता है।
2- आँखों और नींद पर बुरा असर
ब्लू लाइट नुकसानदायक होती है – मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट शिशु की आँखों को कमजोर कर सकती है।
नींद की समस्या होती है- स्क्रीन के ज्यादा इस्तेमाल से शिशु की नींद प्रभावित होती है, जिससे उसका विकास धीमा हो सकता है।
आंखों में पानी आना या जलन ज्यादा स्क्रीन देखने
से शिशु की आंखों में जलन और सूखापन हो सकता है।
3-बोलने और सामाजिक कौशल में देरी
कम बातचीत – जब शिशु मोबाइल में व्यस्त रहता है, तो वह माता-पिता और दूसरों से कम बात करता है।
* सामाजिक विकास में कमी- मोबाइल की वजह से शिशु का दूसरों के साथ घुलना-मिलना कम हो सकता है।
बोलने में देरी हो सकती है – स्क्रीन टाइम ज़्यादा होने से शिशु के बोलने और शब्द पहचानने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
4- मोटापा और शारीरिक विकास पर प्रभाव
कम एक्टिविटी – मोबाइल देखने वाले बच्चे कम एक्टिव होते हैं, जिससे उनका शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है।
मोटापा बढ़ने का खतरा – मोबाइल के कारण शिशु ज्यादा बैठा रहता है, जिससे मोटापा बढ़ सकता है। हड्डियों और मांसपेशियों पर असर – स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से शरीर की गतिविधियां घटती हैं, जिससे हड्डियों और मांसपेशियों की ग्रोथ धीमी हो सकती है।
5-मानसिक और व्यवहारिक समस्याएं
* चिड़चिड़ापन – ज्यादा स्क्रीन टाइम से शिशु जिद्दी और चिड़चिड़ा हो सकता है।
धैर्य की कमी – शिशु को तुरंत मनोरंजन की आदत
लग सकती है, जिससे उसका धैर्य और संयम कम हो सकता है।
* आदी बनने का खतरा – छोटी उम्र में ही मोबाइल की लत लग सकती है, जिससे आगे चलकर पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में ध्यान लगाना मुश्किल हो सकता है।
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मोबाइल से दूर रखने के लिए क्या करें
✓ बच्चे को खेलने के लिए सुरक्षित खिलौने दें-रंग-बिरंगे खिलौने, रबर बॉल, ब्लॉक्स दें।
✓ पढ़ने की आदत डालें
शिशु को रंग-बिरंगी किताबें और कहानियाँ सुनाएं।
✓ प्राकृतिक चीज़ों से परिचय कराएं
शिशु को बाहर घुमाने ले जाएं, पक्षियों, पेड़ों और फूलों से परिचय कराएं।
✓ माता-पिता अधिक समय दें
– शिशु को प्यार, स्पर्श और बातचीत से ज्यादा सीखने को मिलता है।
✓ स्क्रीन की जगह म्यूजिक या नैचुरल साउंड
शिशु के लिए मधुर संगीत या माँ की आवाज़ सबसे अच्छी होती है।
————–**** राजेश वार्ष्णेय एमके।