5:48 am Tuesday , 22 April 2025
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ख़दीजा तु्ल कुब्रा (स.अ) की वफ़ात पर आयोजित मजलिस-ए-आज़ा

ख़दीजा तु्ल कुब्रा (स.अ) की वफ़ात पर आयोजित मजलिस-ए-आज़ा

बदायूँ। ख़दीजा तु्ल कुब्रा (स.अ) की वफ़ात पर आयोजित मजलिस-ए-आज़ा में मौलाना काशिफ अली ज़ैदी क़िबला ने जो ख़िताब दिया, वह एक बहुत ही असरदार और दिलों को छूने वाला था। मौलाना ने अपने ख़िताब में हज़रत ख़दीजा (स.अ) की ईमानदारी, वफ़ादारी, सब्र और इस्लाम के प्रति उनकी क़ुर्बानियों पर रोशनी डाली।

मौलाना काशिफ अली ज़ैदी क़िबला ने हज़रत ख़दीजा (स.अ) की ज़िंदगी को एक मिसाल के तौर पर पेश किया। उन्होंने बताया कि कैसे हज़रत ख़दीजा (स.अ.) ने इस्लाम के शुरूआती दौर में अपने पति, हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) का साथ दिया और उनके संदेश को फैलाने में मदद की। मौलाना ने यह भी ज़िक्र किया कि हज़रत ख़दीजा (स.अ.) का प्यार और समर्थन न केवल हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के लिए, बल्कि पूरी उम्मत के लिए एक अनमोल उपहार था।

उनके खिताब का मुख्य उद्देश्य था कि हम सब हज़रत ख़दीजा (स.अ.) की तरह अपने जीवन में ईमानदारी, धैर्य, और क़ुर्बानी की भावना को अपनाएं। मौलाना ने इस वक़्त में हज़रत ख़दीजा (स.अ.) के क़ुर्बानियों का महत्व और उनकी भूमिका को सभी को समझाया, ताकि हम अपनी ज़िंदगी में भी उनके बताए रास्ते पर चल सकें।

अगर आपको इस खिताब का कोई विशेष हिस्सा या बात जाननी हो, तो आप और ज़्यादा विस्तार से पूछ सकते हैं।