5:13 am Thursday , 1 May 2025
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संविधान और हिंदू कोड बिल में तमाम प्रावधानों के बावजूद गुलामी की बेड़ियों को नहीं तोड़ पा रही महिलाएं-हर्षवर्धन

जनहित सत्याग्रह मोर्चा और उसके सहयोगी संगठनों द्वारा अंतरराष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस और माता सावित्री बाई फुले के परिनिर्वाण दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। बदायूं के नेकपुर स्थित अंबेडकर पार्क में आज एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता राष्ट्रीय मध्यान्ह भोजन रसोइया कर्मी वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष मृदुलिस यादव ने की की। अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि कामकाजी महिलाओं को अपने हक अधिकारी को पाने के लिए संघर्ष के मैदान में उतरना होगा।
विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए मृदुलवेश यादव ने कहा कि शोषण,उत्पीड़न और दमन के खिलाफ मेहनतकश महिलाओं के संघर्ष का प्रतीक है 8 मार्च महिला दिवस उन्होंने कहां की महिलाओं के विरुद्ध दरिंदगी की बढ़ती घटनाओं और इसके बावजूद समाज में छाई चुप्पी और ठंडेपन के दौर में आज हम प्रत्येक वर्ष की तरह अंतरराष्ट्रीय महिला मजदूर दिवस मना रहे हैं। आज हमारे देश के पुरुष मजदूर यदि पूंजीवाद और पूंजी की बेड़िर्यों में जकड़े हुए हैंl तो दूसरी ओर मजदूर मेहनतकश स्त्रियां पूंजीवाद,पूंजी के साथ-साथ पितृसत्ता की जंजीरों में कैद हैl विभिन्न पाखंडवादी,पोगापंथी,धार्मिक संस्थाओं की भी उन पर जकड़ बंदी हैlऐसे में उनकी मुक्ति का एकमात्र रास्ता पूंजीवादी व्यवस्था का अंत और समाजवादी व्यवस्था की स्थापना ही हैl अगर दुनिया के मजदूर एक हो हो जाए तो देश में मजदूरों का राज होना स्वाभाविक हैl इसके लिए मेहनतकश पुरुष और स्त्रियों को संगठित होकर क्रांतिकारी आंदोलन के लिए एकजुट होना होगा।वहीं इं.हर्षवर्धन ने कहा कि जहां दुनियां में क्लारा जेटकिन जैसी क्रांतिकारी महिलाओं ने दुनिया की मेहनतकश महिलाओं को मुक्ति का रास्ता दिखाया। वही हमारे देश में माता सावित्री बाई फुले जैसी जुझारू संघर्षशील महिलाओं ने हमारे देश की दलित एवं शोषित उत्पीड़ित स्त्रियों के जीवन को बदल कर रख दिया। सावित्री बाई फुले ने ऐसे समय में स्त्रियों की शिक्षा के लिए संघर्ष किया। जब हमारे देश में महिलाओं पर तमाम अमानवीय वर्जनाएं लादी गई थीं। उन्हें घर से बाहर निकलना ही दुभर था। उनकी गुलामी का आलम ये था की उन्हें दोयम दर्जे का इंसान समझा जाता था। ऐसे समय में सावित्री बाई फुले ने पहले अपने पति महात्मा ज्योतिबा फुले से खुद शिक्षा हासिल की। उसके बाद अपनी प्रिय सहयोगी फातिमा शेख के सहयोग से महिलाओं की शिक्षित करने का वीणा उठाया। लेकिन अभी भी हमारे देश में महिलाओं की स्थिति काफी नाजुक है। देश में महिलाओं के दोयम दर्जे के व्यवहार के साथ साथ उनके साथ यौन उत्पीड़न , छेड़छाड़ जैसे अपराध बढ़ रहे हैं। वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था ने उन्हें उपभोग की वस्तु के तौर पर पेश किया है। खासकर मेहनतकश महिलाओं की स्थित बहुत खराब है।गोष्ठी का संचालन डॉ.सतीश ने किया। उन्होंने संचालन करते हुए कहा कि आज देश की महिलाएं शोषण और कई तरह के उत्पीड़न का शिकार हैं। इन सब के खिलाफ हमे एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए। तभी हम मुक्ति की राह की ओर आगे बड़ सकते हैं। इसी कड़ी में बीते दिवस ग्राम जरासी स्थित अंबेडकर पार्क में एक सभा का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता मोर्चा के अध्यक्ष प्रेमपाल सिंह ने की। उन्होंने कहा कि अंतराष्ट्रीय महिला दिवस श्रमिक महिलाओं के संघर्ष का प्रतीक है। इस दिन महिलाओं ने काम के घंटे काम करने और हर स्तर पर बराबरी के लिए संघर्ष किया। महिला दिवस दुनियां भर की समाजवादी महिलाओं की पहल पर मानना शुरू किया गया। सभा को संबोधित करते हुए राम निवास ने कहा कि माता सावित्री बाई फुले देश की प्रथम महिला शिक्षिका हैं। इन्होंने दलित एवं शोषित उत्पीड़ित महिलाओं की शिक्षा के लिए ऐसे समय में संघर्ष किया जब महिलाओं को कोई भी अधिकार नहीं था।उन्होंने महिलाओं के स्वाभिमान, विधवा विवाह आदि के लिए भी संघर्ष किया। लेकिन हमारे समाज में महिलाओं के साथ आज भी भेदभाव मौजूद है जिसके खिलाफ संघर्ष करने की ज़रूरत है।सभा में जरासी गांव के दर्जनों लोग व नौजवान साथी मौजूद थे। गांव के लोगों ने भी इस मौके पर अपने विचार व्यक्त किए। संचालन मोर्चा के महामंत्री चरण सिंह यादव ने किया।उन्होंने गांव वालों से न्याय और हक के लिए संघर्ष तथा अंधविश्वास,पाखंड के खिलाफ संघर्ष करने की अपील की। गोष्ठी में प्रेमपाल सिंह,डॉ. सतीश,चरन सिंह यादव, हर्षवर्धन, मृदुल्लेश यादव, मुन्ना लाल,सुनील,कृपाशंकर बौद्ध,रामनिवास,रामचंद्र आदि लोग मौजूद रहेl