8:24 am Monday , 3 March 2025
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जब श्रीकृष्ण के आगे चूर हो गया इंद्रदेव का अभिमान

बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव रायपुर बुजुर्ग में शाक्य चौपाल पर आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के सातवें कथावाचक प्रीति माधव ने गोवर्धन पर्वत की कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक दिन श्रीकृष्ण ने योशदा जी से पूछा, मईया आज सभी लोग किसके पूजन की तैयारी कर रहे हैं। इस पर मईया यशोदा ने कहा कि पुत्र सभी ब्रजवासी इंद्र देव के पूजन की तैयारी कर रहे हैं। तब कन्हा ने कहा कि सभी लोग इंद्रदेव की पूजा क्यों कर रहे हैं। इस पर माता यशोदा उन्हें बताते हुए कहती हैं, इंद्रदेव वर्षा करते हैं, जिससे अन्न की पैदावार अच्छी होती है और हमारी गायों को चारा प्राप्त होता है। इस पर कान्हा ने कहा कि वर्षा करना तो इंद्रदेव का कर्तव्य है। यदि पूजा करनी है तो हमें गोवर्धन पर्वत की करनी चाहिए, क्योंकि हमारी गायें तो वहीं चरती हैं और हमें फल-फूल, सब्जियां आदि भी गोवर्धन पर्वत से प्राप्त होती हैं। इसके बाद सभी ब्रजवासी इंद्रदेव की बजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। इस बात को देवराज इंद्र ने अपना अपमान समझा और क्रोध में आकर प्रलयदायक मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। इसके बाद भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव का अहंकार दूर करने और सभी ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया। तब सभी ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली। इसके बाद इंद्रदेव को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने श्री कृष्ण से क्षमा याचना की। इसी के बाद से गोवर्धन पर्वत की पूजा हो रही है। इस मौके पर चरन सिंह, बह्मानन्द, दुर्गपाल सिंह, भगवान सिंह, सोहनपाल, महीलाल, प्रेमपाल, रामबहादुर सिंह, केशव शाक्य, जयराम शर्मा, जुगेंद्र सिंह त्यागी आदि मौजूद रहे।