।******** बदांयू 1 मार्च।
आज 1 मार्च को सुबह 8 बजे काले बादल घिर आए, चारों ओर अंधेरा सा छा गया। तेज बारिश हुई। उसके कुछ देर बाद मौसम खुल गया और धूप निकलने लगी। ठंडी-ठंडी हवा चलती रही।
बदांयू में 28 फरवरी की रात को शहर से देहात तक बारिश के साथ जमकर ओले बरसे। करीब 20 मिनट हुई बारिश के चलते तापमान में दो डिग्री सेल्सियस तक (28 डिग्री से 26 डिग्री सेल्सियस) गिरावट आ गई। साथ ही उसावां इलाके में ओलों से घरों की छतों पर सफेद चादर बिछ गई। जबकि बारिश के चलते शहर में विभिन्न स्थानों पर जलभराव हो गया। शादियों में बारिश ने रंग में भंग डालने का काम किया।
बारिश के चलते शहर और देहात के अलग-अलग इलाकों में बिजली आपूर्ति भी बाधित हो गई। आज 1 मार्च को सुबह 8 बजे काले बादल घिर आए, चारों ओर अंधेरा सा छा गया। 30 मिनट बारिश हुई ।उसके कुछ देर बाद मौसम खुल गया और धूप निकलने लगी।
बरसात और ओलावृष्टि ने बिजली व्यवस्था को भी छिन्न भिन्न कर दिया। 28 फरवरी की रात को करीब सवा दस बजे नगर में ही एक दर्जन से ज्यादा मुहल्लों की बत्ती गुल हो गई थी। देर रात तक बिजली कर्मचारी लाइनों को दुरुस्त करने में जुटे रहे।
बारिश
ओलावृष्टि से गेहूं और सरसों को हुआ नुकसान
28 फरवरी की रात अचानक मौसम बदला और बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई। इससे गेहूं और सरसों की फसल को नुकसान पहुंचा है। किसानों ने बताया कि सरसों की फसल को ओले से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। पकी हुई गेहूं की फसल में भी नुकसान बताया जा रहा है। जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि बारिश व ओले से गेहूं की बालियों और सरसों के दानों को नुकसान हुआ है। गनीमत है कि ओले ज्यादा देर तक नहीं पड़े। फसलों में नुकसान का आकलन शनिवार को कराया जाएगा।
हल्की बारिश गेहूं और जौ की बढ़वार में करेगी मदद
इन दिनों हल्की बारिश गेहूं और जौ की बढ़वार में मदद करेगी। मौसम का मिजाज बदलते देखते हुए कृषि विभाग में किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। विभाग ने अगले कुछ दिनों बारिश का अंदेशा जाहिर किया है। होने वाली बारिश का रबी की फसलों पर प्रभाव कई कारकों पर निर्भर करता है। इस कारण किसानों को पहले से सचेत रहना होगा। जैसे बारिश की मात्रा, अवधि, हवा की गति, और फसलों की वर्तमान स्थिति। सामान्यत: इसका प्रभाव इस प्रकार हो सकता है।
सकारात्मक प्रभाव
गेहूं और जौ की बढ़वार में मदद –यदि हल्की और नियमित बारिश होती है, तो यह गेहूं, जौ, चना और सरसों जैसी फसलों के लिए फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और दाने की भराई अच्छी होती है।
सिंचाई लागत में कमी–बारिश से प्राकृतिक सिंचाई हो जाती है। जिससे किसानों को कम सिंचाई करनी पड़ती है और पानी की बचत होती है।
नकारात्मक प्रभाव
ओलावृष्टि या तेज़ बारिश से नुकसान – यदि बारिश तेज़ होती है या ओले पड़ते हैं, तो फसलें गिर सकती हैं, दाने झड़ सकते हैं, और पैदावार घट सकती है।
सरसों और दलहनों पर असर – सरसों और चने जैसी फसलें अगर पकने की अवस्था में हैं, तो ज्यादा नमी से फफूंदी और अन्य रोग लग सकते हैं, जिससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
गेहूं की गुणवत्ता पर असर–पक चुकी फसल में अधिक नमी आ जाने से गेहूं की गुणवत्ता खराब हो सकती है, जिससे बाज़ार में दाम कम मिल सकते हैं।
क्या करें
बारिश से पहले कटाई के लिए तैयार फसलों को जल्दी से काट लें और सुरक्षित स्थान पर रखें।
खेतों में जलभराव रोकने के लिए उचित निकासी की व्यवस्था करें।
सरसों और दलहन फसलों को ज्यादा नमी से बचाने के लिए फसल सुरक्षा उपाय अपनाए।
————————* सोम्य सोनी।