बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ
आजादी को सात दशक बीत गए लेकिन बदायूं की सडकों की हालत आज तक बद से बदतर बनी हुई है नागरिक रो रहे हैं और शहर को सुन्दर बनाने वाले ना जाने कौन सी दुनिया में सो रहे है। नगर निकाय चुनाव में जनता का दिल लूटने के लिए ना जाने क्या – क्या सपने दिखाये थे और नागरिकों ने कितने अरमानों से उनको अच्छे दिन दिखाये थे पर अब तक तो हालत यह है कि नागरिकों के सारे अरमान आसुओं में बह गए उनकी किस्मत में तो गडडे थे, गडडे ही रह गए। ना तो रेलवे स्टेशन वाली सडक की बदहाली दूर हुई और रेलवे रोड की समस्या का समाधान हुआ, गददी चौक से जफा की कोठी वाले मार्ग की बदहाली किसी को दिखाई नहीं दे रही। दिनेश चौक पर खुला पडा मेनहोल कब बंद होगा, इंद्रा चौक के मेनहोल पर लगा जाल किसी बडी घटना के बाद सही होगा इस पर सारे मौन हैं तो फिर नागरिकों का अपना कौन है यह जनता को सोचना होगा।
