।********* उझानी बदायूं 26 फरवरी। कोतवाली क्षेत्र के गांव बुर्रा फरीदपुर के ऐतिहासिक शिव मंदिर, बडे महादेव,और पुरानी अनाज मंडी के शिव मंदिर पर लाखों की संख्या में कांवड़िये रात से ही पहुंचने लगे । सुबह की पहली भोर से ही बम-बम भोले के जयकारों संग जलाभिषेक शुरू हो गया। शहर सहित देहात क्षेत्र में भी शिवालयों पर शिवभक्तों की भीड़ रही। हजरतगंज गंज , बुटला, बरामालदेव आदि क्षेत्रों में स्थित शिवालयों में भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा। भोलेनाथ के भजनों पर श्रृद्धालु झूमते-गाते दोपहर तक जलाभिषेक करते रहे।
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर नगर के शिवालय बम भोले के जयकारों से गूंज उठे। मध्यरात्रि से कांवड़ियों ने कांवड़ चढ़ाना शुरू किया, जो आज 26 फरवरी तक जारी रहा। कछला से लम्बी दूरी तय कर जलाभिषेक करने के बाद भक्त तृप्त हुए। बुर्रा के ऐतिहासिक शिव मंदिर पर सबसे ज्यादा श्रृद्धालुओं की भीड रही। अन्य शिवालयों में भी कांवड़ियों की कतार लगी रही। मंदिरों के बाहर मेले जैसा माहौल रहा।
नगर सहित देहात क्षेत्र में महाशिवरात्रि पर चारों ओर बम भोले के जयकारे गूंजते रहे। गंगा घाटों से गंगाजल लेकर आए शिवभक्त 25 फरवरी रात दो बजे ही प्रमुख मंदिरों पर पहुंच गए। रात तीन बजे जलाभिषेक के लिए लाइन लगना शुरू हो गई। रात तीन बजे से महादेव का जलाभिषेक प्रारंभ हो गया। बाबा के भजनों पर लोग झूमते-गाते रहे।
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पैरों में पड़े छाले, पर भोले के भक्त नहीं माने।
दूर-दूर से कांवड़ लेकर जा रहे कांवड़ियों के पैरों में चलते-चलते छाले पड़ गए है। लेकिन, भोले की भक्ति में लीन भक्तों के पैर नहीं रुके। आधी रात को शिवालयों में पहुंचकर जलाभिषेक करने के बाद ही भक्त माने। भोलेनाथ के भक्त भोले ने कहा कि पहली बार बाबा को जलाभिषेक कर बहुत ही प्रसन्नता हो रही है। रामा देवी ने कहा कि पैरों में छाले हो गए थे। फिर भी उत्साह कम नहीं हुआ। रामेश्वर दास ने कहा कि पांच साल से कांवड़ ला रहा हूं। कोई परेशानी नहीं होती। लवी ने कहा कि पैर में चोट लगी थी। शिविर में पट्टी कराई।
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कांवडियों के हाथ में कलश है, तो किसी ने भोले की भव्य झांकी सजा रखी है। कांवड़ का श्रृंगार देखते ही बन रहा था। रुमाल, गुब्बारे, भगवा धागे, भगवा वस्त्र समेत श्रृंगार की तमाम वस्तुएं कांवड़ में लगा रखीं हैं। शिव भक्ति में डूबे कांवड़ियों में आनंद देखते ही बनता है। झूमते-नाचते सभी चल रहे हैं। आनंद में लंबी यात्रा और रास्ते में पड़े ईंट-पत्थर कुछ भी असर नहीं कर रहा है। बस इन्हें तो भगवान शिव की भक्ति करनी है। इसलिए कांवड़ियों की अनवरत-अन्नत श्रृंखला दोपहर तक चलती रही। भक्ति का ऐसा स्वरूप है कि रास्ते में चलने वाले राहगीर भी जय भोले किये बिना नहीं रहते हैं। कांवड़ उठाने में जवान और बुजुर्ग हैं तो बच्चे भी पीछे नहीं हैं।———————– राजेश वार्ष्णेय एमके।