बदांयू 24 फरवरी।
सहालग और त्योहार नजदीक आते ही मिलावटखोर सक्रिय हो गए हैं। बाजार में मिलने वाली मिठाई से लेकर खाने-पीने की हर चीज में मिलावट की जा रही है। मिलावटखोरों ने देसी घी को भी नहीं बक्शा है। देसी घी के नाम पर मिलावट माफिया बटर ऑयल मिलाकर लोगों को बेच दे रहे हैं। पाॅम ऑयल से बने घी में शुद्ध देसी घी की महक लाने के लिए केमिकल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। ऐसे में लोगों को घी समेत अन्य खाने-पीने की खरीदारी करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
खरमास समाप्त होने के बाद से ही सहालग शुरू हो गये है। होली का त्योहार आने में महज कुछ हफ्ते शेष हैं। त्योहारी सीजन में मिलावटखोर शहर सहित जिलेभर में सक्रिय हो गए हैं। पनीर, खोआ और मिठाई में मिलावट के बाद जिले में वह मिलावटी देशी घी को शद्ध देशी घी बताकर बाजार में धड़ल्ले से बेच रहे हैं। उसमें एसेंस की कुछ बूंदें डाल दी जा रही है, जिससे वह शुद्ध देशी घी की तरह महकने लग रहा है। यह इतने कम दाम में बाजार में मौजूद है कि शुद्ध देशी घी के नाम से लोग इसकी खरीदारी कर रहे हैं। जिले में दो से ढाई टन देसी घी की खपत को देखते हुए मुनाफाखोर उसमें मिलावट कर अपनी जेबें भर रहे हैं। वहीं इस घी का सेवन करने से इसमें वसा की मात्रा अधिक होने से लीवर खराब होने के साथ ही पाचन तंत्र कमजोर होने, हार्ट अटैक जैसी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
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एसेंस का फ्लेवर मिलाकर बनाते हैं घी
मिलावटी घी पॉम ऑयल, डालडा और देसी घी मिलाकर तैयार होता है। खुशबू के लिए प्रोक्लीन ग्लाइकोन नाम का केमिकल इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रोक्लीन ग्लाइकोन नामक केमिकल का एसेंस मिलाते हैं, जिससे असली घी की महक आती है। इस मिलावट को सामान्य व्यक्ति पकड़ नहीं पाते हैं। शहर में ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी कुछ किराने की दुकानों पर मिलावटी देसी घी सस्ते दर पर मिल जा रहा है। 100 से 150 रुपये में तैयार होने वाले यह घी फुटकर में 500 से 600 रुपये किलोग्राम के डिब्बे और पैकेट में उपलब्ध है।
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मिठाई की दुकानों पर होती है मिलावटी घी की अधिक खपत
मिलावटी देसी घी की सबसे अधिक खपत मिठाई की दुकानों पर होती है। हालत यह है कि शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में देसी घी की करीब दो टन की खपत है। सूत्रों की मानें तो मिलावटी घी कानपुर, बरेली , कासगंज,लखनऊ और गोरखपुर से आता है। मिठाई की दुकान वाले इस मिलावटी घी का प्रयोग कर तरह-तरह की मिठाइयां बनाते हैं। आसपास के लोग इसे शुद्ध देसी घी में बना हुआ समझ कर खरीदते हैं।
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ऐसे करें नकली घी की पहचान
– असली घी को यदि गर्म करेंगे तो वह पिघल कर भूरे रंग का हो जाएगा। वहीं मिलावटी घी का रंग पीला नजर आता है।
– इसके अलावा असली देसी घी बहुत जल्दी पिघल जाता है।
– मिलावटी घी को पिघलने में ज्यादा समय लगता है। इसमें नीचे कुछ अवशेष भी रह जाते हैं।
– एक कप में पानी लें और उसमें एक चम्मच घी डालें। यदि घी पानी में ऊपर तैरता है तो वह असली है। यदि घी पानी में नीचे बैठ जाता है तो वह नकली है।
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अलग-अलग जानवरों के दूध में होती है घी की मात्रा
एक किलोग्राम घी बनाने में कितना दूध लगता है, यह दूध में मौजूद वसा की मात्रा पर निर्भर करता है। अलग-अलग जानवरों के दूध से निकलने वाले घी की मात्रा अलग-अलग होती है। भैंस के दूध से एक किलो घी बनाने के लिए करीब 13 किलो दूध चाहिए। देसी गाय के दूध से एक किलो घी बनाने के लिए करीब 20 लीटर दूध चाहिए। वहीं जर्सी गाय के दूध से एक किलो घी बनाने के लिए करीब 25 लीटर दूध का इस्तेमाल किया जाता है। यदि दूध में 9.1 प्रतिशत वसा है तो एक लीटर घी बनाने के लिए 10 लीटर दूध लगेगा, जबकि दूध में 4.55 प्रतिशत वसा है तो एक लीटर घी बनाने के लिए 20 लीटर दूध लगेगा।
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इस तरह बनता है घी
दूध को खौलाकर ठंडा करने पर ऊपर मलाई की परत जम जाती है। उस मलाई को इकट्ठा करके उसमें थोड़ा दही मिलाकर 10-12 घंटे छोड़ देते हैं। फिर उसको मथने से मक्खन बाहर आ जाता है। मक्खन को जलाने से घी तैयार होता है।
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लीवर खराब व हार्ट अटैक का होता है खतरा
नकली घी सीधा लीवर को खराब करता है। नकली घी खाने से पाचन क्रिया प्रभावित होती है। वसा की मात्रा ज्यादा होने से हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। पॉम ऑयल से कब्ज और एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है। रोज इस्तेमाल से पेट दर्द और अल्सर की समस्या होती है। इसके गैस्ट्राइटिक्स, कोलेस्ट्राॅल बढ़ने समेत अन्य शिकायतें हैं।
– डॉ. इवा फरमान, पेटरोग विशेषज्ञ, सिटी मेक्स हाॅस्पीटल उझानी।—————————-
जिले के लोगों को शुद्ध खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने के लिए गंभीर है। इसके लिए विभाग की तरफ से समय-समय पर अभियान चलाकर जांच की जाती है। सहालग और त्योहार को देखते हुए खाद्य पदार्थों की जांच करने के लिए विभाग की तरफ से टीम गठित कर दी गई है। यदि मिलावटी देसी घी बाजार में बिक रहा है तो कार्रवाई के लिए अभियान चलाया जाएगा। टीम दुकानों पर जाकर सैंपल लेगी और जांच के लिए लैब में भेजेंगी।
– सीएल यादव खाद्य सुरक्षा अधिकारी।
——————–***** बदायूं की बात सुशील धींगडा के साथ।