।****** उझानी बदायूं 23 फरवरी।
दलालों और आशा कार्यकर्ता के गठजोड़ से सरकारी अस्पताल से निजी अस्पताल में मरीजों को पहुंचाने का खेल धड़ल्ले से जारी है।
चंद रुपये के लालच में निजी अस्पताल में लापरवाही के कारण इलाज के दौरान जान जा रही है। सीएमओ कार्यालय की ओर से गठित टीम की निष्क्रियता के चलते यह खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। कस्बा के एक निजी अस्पताल में प्रसूता की हुई मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने टीम बदल दी। लेकिन हालात जस-की-तस है।आसपास के इलाके और हाईवे के किनारे नियम को दरकिनार कर इलाके में तमाम निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। इनमें से अधिकांश अस्पताल ऐसे है जिनके संचालक झोला छाप हैं। इनके अस्पताल गेट पर डॉक्टरों के नाम का बोर्ड तो लगा रहता है, लेकिन इलाज यही झोला छाप करते हैं।
ऐसे अस्पतालों में हर तरह के मरीजों के इलाज के साथ-साथ ऑपरेशन भी किए जाते हैं। यह अलग बात है कि इन मानक विहीन अस्पतालों के पास जरूरी संसाधन उपलब्ध नहीं होते हैं।————————— राजेश वार्ष्णेय एमके।