6:33 pm Sunday , 23 February 2025
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डाक्टरों के कमीशन का खेल- हल्की बीमारी के इलाज से पहले जांच पर जांच

बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ

सर्दी, जुकाम, बुखार होने पर भी खून की जांच जरूरी, 50 से 60 प्रतिशत ले रहे कमीशन।
शहर से लेकर कस्बों तक जांच सेंटरों की भरमार, डॉक्टरों से हैं सेटिंग।
बदायूं 23 फरवरी। कमीशन के खेल में दवा और इलाज महंगा हो गया है। बीमारी सामान्य हो या जटिल, इलाज से पहले जांच पर जांच कराई जा रही है। वायरल बुखार और सर्दी जुकाम होने पर भी चिकित्सक दवा लिखने से पहले मरीज के पर्चे पर खून की जांच लिख रहे हैं। इस प्रक्रिया में सामान्य तौर पर 500 से एक हजार रुपये खर्च हो रहा है। इसके बाद पर्चे पर दवा लिखी जा रही है।
प्राइवेट से लेकर सरकारी अस्पतालों तक इलाज से पहले जांच कराने का चलन बढ़ गया है। मौसमी बीमारी से पीड़ित सामान्य मरीजों को भी इस दौर से गुजरना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों में तो मरीजों से रुपये ऐंठने का खुला खेल चल रहा है। दो-चार खुराक दवा में ठीक होने वाली बीमारी के इलाज में भी भारी भरकम रकम खर्च करनी पड़ रही है। प्राइवेट अस्पतालों में डॉक्टर की फीस, जांच और दवा मिलाकर दो से तीन हजार रुपये खर्च हो रहे हैं।

शहर से कस्बों तक पैथोलॉजी सेंटरों की भरमार है। स्वास्थ्य विभाग में पंजीकृत प्राइवेट पैथोलॉजी सेंटर केवल 30 हैं, जबकि धरातल पर कई गुना पैथोलॉजी सेंटर संचालित हो रहे हैं। मरीज माफिया डॉक्टरों से सेटिंग कर सरकारी अस्पतालों के आसपास भी अवैध लैब खोल रखे हैं। ज्यादातर खेल ग्रामीण अंचल में हो रहा है। वहीं कुछ मरीज माफिया अस्पताल का पंजीकरण कराकर उसकी आड़ में पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड सेंटर तक संचालित कर रहे हैं। इनका न तो पंजीकरण है और न ही जांच के लिए कोई विशेषज्ञ।
शहर के कई निजी अस्पतालों में सर्जरी के मरीज भर्ती करने से लेकर जांच और अल्ट्रासाउंड तक हर सुविधा देने का दावा किया जा रहा है। जबकि, यहां न तो सर्जरी के डॉक्टर हैं और न ही लैब या अल्ट्रासाउंड सेंटर का पंजीकरण है। तीमारदार रामू ने बताया कि इनके मरीज के खून और अल्ट्रासाउंड जांच के नाम पर 2500 रुपये ले लिए गए। पूछने पर पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड से संबंधित चिकित्सक का नाम नहीं बताया गया। रिपोर्ट पर स्कैन की हुई दस्तखत है।
वहीं निजी अस्पताल में आए मरीज रामनाथ ने बताया कि पहले डॉक्टर आला, नाड़ी और आंख देखकर बीमारी का पता लगा लेते थे। दवा से ही काम चल जाता था। अब बुखार होने पर भी डॉक्टर पहले जांच लिख दे रहे हैं। इलाज इतना महंगा हो गया है कि निजी अस्पताल में आने से परहेज करना पड़ता है।
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सरकारी अस्पतालों में मरीज माफिया हावी
सरकारी अस्पतालों में भी मरीज माफिया हावी हैं। डॉक्टरों से सेटिंग कर बिना पंजीयन और चिकित्सक के ही पैथोलॉजी या अल्ट्रासाउंड सेंटर खोल दे रहे हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों व सीएचसी के आसपास 12 से 15 की संख्या में पैथोलॉजी संचालित हैं। जानकार बताते हैं कि डॉक्टरों की लिखी हुई जांच में 50 से 60 प्रतिशत उनका कमीशन होता है। जिले की सीएचसी के आसपास एवं कस्बे में मिलाकर 8 से 10 पैथोलॉजी सेंटर हैं। यहां भी दो ही पैथोलॉजी सेंटर रजिस्टर्ड हैं। यही हाल उझानी, दातागंज, बिल्सी , सहसवान और बिनावर आदि क्षेत्रों का भी है।

कुछ बीमारियों में जांच जरूरी होती है। इससे बीमारी स्पष्ट रूप से पता चलती है और सटीक इलाज करने में चिकित्सक को आसानी होती है। जहां तक अनावश्यक जांच या कमीशनखोरी की बात है तो मरीज इससे बचने के लिए सरकारी अस्पताल जाएं, वहां जांच और इलाज की निशुल्क सुविधा उपलब्ध है।
– डॉ. रामेश्वर मिश्रा, सीएमओ बदायूं।
———————— सुशील धींगडा।