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बदांयू एक्सप्रेस का एक्स-रे – लर्निंग लाइसेंस के लिए 1500 रुपये लाओ, टेस्ट-वेस्ट सब भूल जाओ

।****** बदांयू 21 फरवरी।
एआरटीओ कार्यालय में बृहस्पतिवार दोपहर दो बजे के करीब चहलकदमी कुछ कम नजर आ रही थी। कमरों में कुछ बाबू बैठे थे कुछ बाहर घूम रहे थे। कमरे से निकले एक बाबू से लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए कहा तो उसने कह दिया कि ऑनलाइन बनेगा।

जब टेस्ट पास न कर पाने की मजबूरी बताई तो उसने इसका भी समाधान बता दिया। कहा बाहर बनी भोलू( असली नाम नहीं ) की दुकान पर चले जाओ वह सब करा देगा। वह आवेदन और टेस्ट के कुछ रुपये लेगा। उन्होंने अपना मोबाइल नंबर देते हुए कहा कि अगर कोई परेशानी हो तो फोन कर लेना। इसके बाद हम एआरटीओ कार्यालय के पास ही बनी भोलू की दुकान पर पहुंचे। भोलू से पूछा कि बिना ऑनलाइन टेस्ट दिलाए ही डीएल बनवा दोगे तो उसने साफ कह दिया कि 1500 रुपये और आधार दे जाओ और टेस्ट-वेस्ट सब भूल जाओ।

जब पूछा कि क्या ऑनलाइन टेस्ट के लिए सामने बैठना होगा, तो जवाब मिला कि जब अंदर (एआरटीओ कार्यालय) पैसा पहुंचेगा तो बैठने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। लर्निंग लाइसेंस के आवेदन की फीस के बारे में पूछने पर बताया कि फीस तो 375 रुपये है, लेकिन बाकी पैसे अंदर जाएंगे। कुछ रुपये कम करने के आग्रह पर कहा 1300 रुपये से एक पैसा कम नहीं होगा। कागज क्या देने होंगे के सवाल पर केवल आधार की फोटो मांगी गई।
मोबाइल नंबर मांगने पर भोलू ने एक विजिटिंग कार्ड थमा दिया, जिसमें भोलू परिवहन सलाहकार लिखा था। साथ ही ये भी लिखा था कि गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन, बीमा, फिटनेस, लाइसेंस, परमिट आदि का कार्य संतोषजनक किया जाता है। पते पर जब नजर पड़ी तो साफ लिखा था एआरटीओ ऑफिस बदांयू।
पास ही स्थित दूसरी दुकान पर पहुंचे तो यहां भी वही कहानी दोहराई गई। बिना टेस्ट के लर्निंग डीएल बनवाने के सवाल पर धड़ल्ले से जवाब दिया कि 1500 रुपये दे जाओ सब करा देंगे। टेस्ट को सवाल को फिर से दोहराने पर कहा कि रुपये से सब काम हो जाता है। ये उदाहरण एआरटीओ कार्यालय में फैले भ्रष्टाचार की बानगी मात्र है, अगर जांच हो तो सब परतें खुल जाएंगी।
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सिर हिलाने पर भी निरस्त हो जाता है डीएल का आवेदन
दलाल बिना टेस्ट दिलाए ही डीएल जारी कराने का दावा करते हैं, इसके लिए वे फीस से चार गुनी रकम भी लेते हैं। वहीं अगर कोई व्यक्ति सीधे ऑनलाइन आवेदन कर टेस्ट दे तो उसके लिए नियम कड़े हैं। अगर कंप्यूटर पर लगे वेबकैम के सामने से गर्दन भी घुमाई तो आवेदक को डीएल के लिए अयोग्य यानी फेल बता दिया जाता है। दोबारा आवेदन प्रक्रिया और फीस देने के बजाए लोग रिश्वत देकर डीएल जारी कराने में ही अपनी भलाई समझते हैं।

डीएम और एसएसपी ने कभी नहीं किया एआरटीओ कार्यालय का रुख
एआरटीओ कार्यालय में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। पहले भी आसपास के जिलों के कार्यालयों में भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहते हैं। अधिकांश मामले डीएम और एसपी के संयुक्त औचक निरीक्षण या छापे में सामने आते हैं लेकिन बदायूं के लोगों का दुर्भाग्य है कि यहां कभी डीएम और एसएसपी ने एआरटीओ कार्यालय जाकर हकीकत जानने की कोशिश ही नहीं की। यही कारण है कि बदांयू एआरटीओ कार्यालय में खुलेआम दलाल हाथ में फाइलें लिए घूमते नजर आते हैं।
————————- सुशील धींगडा।