12:05 am Saturday , 22 February 2025
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बुध्द की शिक्षाएं लोगों को करुणा, दया और ज्ञान संदेश देती है

बुध्द की शिक्षाएं लोगों को करुणा, दया और ज्ञान संदेश देती है

बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव रायपुर बुजुर्ग में शाक्य चौपाल पर चल रही पाँच दिवसीय बौद्ध कथा के चौथे दिन धम्मचारिणी रीना शाक्य ने कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान बुद्ध का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व लुम्बिनी में हुआ था। उनके पिता का नाम शुद्धोदन था, जो एक शाक्य राजा थे और उनकी माता का नाम मायादेवी था। बुद्ध का जन्म नाम सिद्धार्थ था। वह एक राजकुमार के रूप में बड़े हुए और उन्हें राजकीय जीवन की सभी सुविधाएं प्राप्त थीं। जब सिद्धार्थ 29 वर्ष के थे, तो उन्होंने चार दृश्य देखे जिन्होंने उनके जीवन को बदल दिया। इन दृश्यों में एक बूढ़ा व्यक्ति, एक बीमार व्यक्ति, एक मृत व्यक्ति और एक साधु शामिल थे। ये दृश्य उन्हें जीवन की वास्तविकता और दुख की प्रकृति के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिए। सिद्धार्थ ने अपने राजकीय जीवन को त्याग दिया और एक साधु के रूप में जीवन जीने का निर्णय लिया। उन्होंने छह वर्षों तक तपस्या की और विभिन्न गुरुओं से ज्ञान प्राप्त किया। सिद्धार्थ ने बोधगया में एक पीपल वृक्ष के नीचे ध्यान किया और ज्ञान प्राप्त किया। इस ज्ञान को उन्होंने निर्वाण कहा। बुद्ध ने अपने ज्ञान को लोगों के साथ बांटने का निर्णय लिया और उन्होंने अपने उपदेशों को प्रसारित करना शुरू किया। उनकी शिक्षाएं करुणा, दया, और ज्ञान पर आधारित थीं। इस मौके पर डा.बीपी मौर्य, केशव शाक्य, चरण सिंह शाक्य, प्रहलाद शाक्य, पीतांबर शाक्य, बांकेलाल सागर, दरियाव सागर, नेत्रपाल पाल, महेश पाल, मुकेश चंद्र मौर्य आदि मौजूद रहे।