बदायूँ: 19 फरवरी। जिलाधिकारी निधि श्रीवास्तव ने बताया कि अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग उ0प्र0 द्वारा भारतीय झण्डा संहिता 2002 (2021 एवं 2022 में यथा संशोधित) व राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 जो राष्ट्रीय ध्वज के प्रयोग, ध्वजारोहण/संप्रदर्शन को नियंत्रित करते हैं। जो कि गृह मंत्रालय भारत सरकार की वेबसाइट www.mha.gov.in पर भी उपलब्ध हैं। इन अधिनियमों का कड़ाई से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि प्राप्त निर्देशों में अवगत कराया गया है कि भारतीय झंडा संहिता के भाग 02 के पैरा 2(2) की धारा (10) के अनुसार जनता द्वारा कागज़ के बने राष्ट्रीय झंडो को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर हाथ में लेकर हिलाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर जनता द्वारा प्रयोग किये हुए कागज़ के बने राष्ट्रीय झंडो को समारोह के पूरा होने के पश्चात न तो विकृत किया जाए और न ही जमीन पर फेंका जाए। ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकान्त में किया जाए।
उन्होंने बताया कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते गए और हाथ से बुने हुए या मशीन द्वारा निर्मित, सूती/पॉलिएस्टर/ऊनी/सिल्क/खादी के कपडे से बनाया गया हो। जहाँ झंडे का प्रदर्शन खुले में किया जाता है या जनता के किसी व्यक्ति द्वारा घर पर प्रदर्शित किया जाता है, वहां उसे दिन एवं रात में फहराया जा सकता है। राष्ट्रीय झंडे का आकार आयताकार होगा। यह किसी भी आकार का हो सकता है परन्तु झंडे की लम्बाई ओर ऊंचाई (चौडाई) का 3 अनुपात 2 होगा।
उन्होंने बताया कि जब कभी राष्ट्रीय झंडा फहराया जाये तो उसकी स्थिति सम्मानजनक और पृथक होनी चाहिए। फटा हुआ और मैला-कुचौला झंडा प्रदर्शित नहीं किया जाये। संहिता के भाग 03 की धारा 09 में उल्लखित गणमान्यो जैसे राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल आदि के सिवाय झंडे को किसी वाहन पर नहीं फहराया जायेगा। किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊँचा या उससे ऊपर या उसके बराबर में नहीं लगाना चाहिए।
—- सौम्य सोनी
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