लड़ाई-झगड़े से दूर रहे लोग, भगवान बुध्द के मार्ग को अपनाए : रीना शाक्य
बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव रायपुर बुजुर्ग में शाक्य चौपाल पर चल रही पाँच दिवसीय बौद्ध कथा के तीसरे दिन धम्मचारिणी रीना शाक्य ने कथा सुनाते हुए कहा कि एक दिन सिद्धार्थ गौतम को वैराग पैदा हुआ तब उनका राजकाज में मन नहीं लगा। उन्होंने विचार किया संसार में सुख, दुख, गरीब, अमीर जैसे विचार आते है। फिर एक दिन अपनी पत्नी यशोधरा व बैठे छोड़कर सारथी चन्ना लेकर जंगल में चले जाते है। जंगल में जाकर अपने आभूषण तलवार केश अपने सारथी चन्ना को दे देते है। फिर भगवान थी खोज में शृग आश्रम में ठहर जाते हैं। वहा पर भृग बरिसी से सांक्य-दर्शन का ज्ञान प्राप्त किया लेकिन भगवान बुध्द को संतोष नहीं मिला। उन्होने उस समय पहुंचे हुए ऋषि मुनियों से ज्ञान प्राप्त किया परन्तु से संसार के दुःख को दूर का उपाय नही मिल पाया। फिर भगवान बुध्द दढ़ प्रतिज्ञा करके निरंजन नदीं किनारे पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर कठोर साधना करने में लग गए। उन्होनें कहा कि आज संसार लड़ाई-झगड़े काफी बढ़ रहे है, इसलिए लोगों को चाहिए वह भगवान बुध्द के मार्ग को अपनाकर जीवन को सफल बनाए। इस मौके पर डा.बीपी मौर्य, केशव शाक्य, चरण सिंह शाक्य, प्रहलाद शाक्य, पीतांबर शाक्य, बांकेलाल सागर, दरियाव सागर, नेत्रपाल पाल, महेश पाल, मुकेश चंद्र मौर्य आदि मौजूद रहे।