Pushpa जिंदगी पल पल ढलती है जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है शिकवे गिले कितने भी हों फिरभी हर पल हंसते रहना है क्योंकि ये जिंदगी जैसी भी है बस एक ही बार मिलती है