उघैती बदायूं: क्षेत्र के गांव लोथर में स्थित राधा कृष्ण मंदिर परिसर में श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ से पूर्व आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन परम श्रद्धेय पं.मुनीश नारायण शास्त्री जी ने श्रीमद्भागवत महिमा के बारे में वर्णन किया।कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना संसार का सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म है,यह भगवान का वांग्मय स्वरूप है, जो जन्म जन्मांतर के पुण्य उदय होने पर प्राप्त होता है।ना भागवत की नियती ब्रह्म होना है, यह देव दुर्लभ है किंतु मनुष्यों को सुलभ होकर ज्ञान गंगा के रूप में प्रवाहित हो रही है। हर मनुष्य को समाज में अच्छा काम करना चाहिए।भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि कर्म ही प्रधान है,बिना कर्म कुछ संभव नहीं होता है, जो मनुष्य अच्छा कर्म करता है उसे अच्छा फल मिलता है।बुरे कर्म करने वाले को बुरा फल मिलता है।इसलिए सभी को अच्छा कर्म ही करना चाहिए।भागवत कथा को सुनने से पाप नष्ट होता है। भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए तब भी तृप्ति नहीं होती। कहा कि भक्ति के दो पुत्र हैं, एक ज्ञान दूसरा वैराग्य भक्ति बड़ी दुखी थी, उसके दोनों पुत्र वृद्धावस्था में आकर भी सोये पड़े हैं। वेद वेदान्त का घोल किया गया,किन्तु वे नहीं जागे, यह बड़ा विचित्र और सुक्ष्म विचार का विषय है। भक्ति बड़ी दुखी थी कि यदि वे नहीं जागे तो यह संसार गर्त में चला जायएगा। भागवत कथा पौराणिक होती है।नारद जी ने भक्ति सूत्र की व्याख्या करते हुए भी भक्ति को प्रेमारूपा बताया है। कथा के साथ-साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किया गया। श्रीमद्भगवत कथा का श्रवण करने के लिये के श्रोताओं की भीड़ उमड़ी!
– राजीव सक्सेना
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