4:38 pm Wednesday , 12 February 2025
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युग पुरुष महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती

जब संपूर्ण विश्व अंधविश्वास, पाखंड और रुढियों से घिरा हुआ था, अधिकांश देश ब्रिटेन के अधिपत्य में थे, मानवता कराह रही थी ऐसे समय में युग पुरुष महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी का जन्म हुआ।
महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने उसे समय तक प्रचलित सभी मजहबों की पुस्तकों का अध्ययन किया और अध्ययन करके सभी मजहबी पुस्तकों का सार सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ में पिरोया।
उन्होंने देखा की कर्म पर आधारित वर्ण व्यवस्था का स्थान जन्म आधारित जाति व्यवस्था ने ले लिया है लोग ईश्वर के स्थान पर मनुष्य, पाषाण,वृक्ष एवं अन्य जड़ वस्तुओं की पूजा कर रहे हैं, विभिन्न मजहब आपस में घृणा द्वेष का प्रचार प्रसार कर रहे थे तब ऐसी स्थिति में उन्होंने सृष्टि के निर्माता परमपिता परमात्मा द्वारा दिए गए वेद ज्ञान की समस्त मानव जाति को पुनः स्मृति दिलाई और बताया वेद ही ईश्वरीय ज्ञान है और वेद का ज्ञान संपूर्ण मानव जाति के लिए है। वेद के प्रचार प्रसार के लिए आपने आर्य समाज की स्थापना की।
भारत वीडियो में उनके शौर्य और पराक्रम को याद दिलाते हुए उनके अंदर देश को आजाद करने का पराक्रम एवं साहस उत्पन्न किया आपकी प्रेरणा से लाला लाजपत राय सरदार भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद भाई परमानंद जैसे सैकड़ो वीरों ने मातृभूमि की आजादी के लिए तन मन धन से बलिदान दे दिया और देश को स्वतंत्र करवा दिया।
गरीबों,अनाथो, विधवाओं व वंचित वर्ग को उनके अधिकार दिलाने के लिए उनको शिक्षित करने का बीड़ा उठाया गया और देशभर के अंदर सैकड़ो गुरुकुल कन्या विद्यालय संस्कृत विद्यालय स्थापित किए गए यही नहीं अनाथालय भी बनाए गए ।विधवा विवाह प्रचलित किया गया।
वेद का ज्ञान आम जनता तक पहुंचाने के लिए अपने वेदों का हिंदी में अनुवाद किया और विभिन्न आर्य संस्थाओं के माध्यम से वेदों का प्रकाशन व विक्रय इत्यादि की व्यवस्था की गई।
आज हम आजादी की जिस हवा में सांस ले रहे हैं उसमें बहुत बड़ा योगदान महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी का ही है। आज हम उनको सदर स्मरण करते हुए उनके उनके सपनों को पूरा करने के लिए संकल्प लें और भारत को पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित करें यही हमारी कामना है।