नेहरू मैमोरियल स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बदायूँ की तृतीय छात्रा इकाई द्वारा, कार्य स्थल नगला शर्की में आयोजित सात दिवसीय विशेष शिविर का आज छठा दिन था। आज का विषय था ‘ महिला सशक्तिकरण ‘। स्वयं सेविकाओं ने कार्य स्थल पर जाकर ग्रामीणों को आज के परिपेक्ष्य से जोड़कर महिला सशक्तिकरण के बारे में बताया।
बौद्धिक सत्र में पूर्व रसायन विज्ञान प्रवक्ता डॉ. मधु गौतम जी उपस्थित रहीं। उन्होंने सरस्वती माँ के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर सत्र का शुभारंभ किया।
उन्होंने स्वयं सेविकाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण से न केवल नारी शक्ति बल्कि समूर्ण समाज सशक्त होता है। जिस समाज में नारी का सम्मान होता है वह समाज सुसंस्कृत व आदर्श समाज होता है। नारी शिक्षा व उत्थान के बिना कोई भी समाज उन्नत नहीं हो सकता है। इसलिये हमे हर परिस्थिति में हमें नारियों की स्थित को सुदृढ़ करना ही होगा।
भूगोल प्रवक्ता डॉ. मधु शर्मा ने कहा कि नारी सम्मान भारतवर्ष की प्राचीनतम परम्परा है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है कि महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, और व्यक्तिगत स्तर पर मज़बूत बनाना. इसका मकसद महिलाओं को अपने जीवन के हर पहलू पर संरक्षण देना और उन्हें पुरुषों के बराबर मौके देने से है
कार्यक्रम अधिकारी डॉ शिखा शाक्य ने कहा कि महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ना है ताकि और वे अपने निर्णय स्वंय ले सकें और उनके निर्णयों में पुरूष प्रधानता की बाध्यता न हो। नारी जब स्वच्छंद होकर जियेगी तो दूसरों पर उसकी निर्भरता कम होगी और समाज भी सशक्त होगा।
प्रो. अर्चना ने अपने वक्तव्य में कहा कि महिला सशक्तिकरण से महिलाओं में आत्म-सम्मान की भावना बढ़ती है।महिलाओं में निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है और वो आत्मनिर्भर होतीं हैं। आज के युग में महिलाएँ बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक क्षेत्र में कार्य कर रहीं हैं।
अतिथि लवी शिशोदिया ने कहा कि महिला सशक्तिकरण से देश और समाज मे बदलाव लाया जा सकता है। महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर, लोन देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। इस दिशा में भारत सरकार ने कौशल विकास योजना के तहत सराहनीय कदम उठाये हैं।
कार्यक्रम में रिया, कांची,गुलजन, अर्शी,क्रांति,सेजल,मंजरीन, स्वाति दिवाकर,गरिमा,चंचल,सोनी मौर्या,आकांक्षा शाक्य,अनम बानो,सरिता,
आदि स्वयंसेविकाओं का विशेष सहयोग रहा।