8:14 pm Thursday , 13 February 2025
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बदायूं में हर मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की दिखावे को सील, बच निकलते हैं झोलाछाप

आज की बात – सुशील धींगडा के साथ

जिले में पिछले एक साल में झोलाछाप के अस्पताल में मौत के 15 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। हर मौत के बाद दिखावे के लिए स्वास्थ्य विभाग अस्पताल को सील करता है। कुछ मामलों में पुलिस रिपोर्ट भी दर्ज करती है, लेकिन कार्रवाई नहीं। स्वास्थ्य विभाग की सुस्त कार्यवाही से झोलाछाप कभी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए।

विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों की सांठ-गांठ से सील अस्पताल दोबारा खुल गए। हर बार घटना होने पर चार दिन के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम जागती है और अभियान चलता है। इस बार भी विभाग ने यही दावा किया है। कुछ दिन तक झोलाछापों के खिलाफ अभियान चलाया। कहा गया कि सभी क्लीनिक व नर्सिंग होम पर नोटिस चस्पा कर दिए गए हैं। विभाग का कहना है कि एक सप्ताह में सबने अपनी डिग्री व पंजीकरण नहीं दिखाया तो क्लीनिक व नर्सिंग होम सील कर दिए जाएंगे। उझानी के दो नर्सिंग होम में गलत इलाज से महिला की मौत, बिनावर, बिल्सी, दातागंज सहसवान,बिसोली आदि जगह पर सील की कार्रवाई हुई थी। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग अब तक जांच पूरी नहीं कर पाया है। राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले अस्पताल को तो विभाग देखना भी पसंद नहीं करता।

बिना बोर्ड लगाए दो कमरों के मकानों में चल रहे अस्पताल
उझानी क्षेत्र में झोलाछापों की बड़ी मंडी है। यहां घरों में बिना बोर्ड लगाए अस्पताल चल रहे हैं। झोलाछाप धड़ल्ले से डिलीवरी कर रहे हैं। यहां तक कि हर्निया का ऑपरेशन भी किया जा रहा है। इन झोलाछापों के यहां न तो कोई एनेस्थेटिस्ट है और न ही विशेषज्ञ सर्जन। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के रहमोकरम पर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।

स्वास्थ्य समिति की बैठक में डीएम से पड़ी थी फटकार
उझानी के झोलाछाप नर्सिंग होम के गलत इलाज से मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को डीएम ने कड़ी फटकार लगाई थी। यहां तक कहा था कि यदि अब झोलाछाप के अस्पताल में मौत का मामला सामने आया तो एमओआईसी जिम्मेदार होंगे। उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने इस चेतावनी को अनसुना कर झोलाछापों के खिलाफ अभियान नहीं चलाया। अब जिलाधिकारी ने अपने स्तर से प्रशासनिक अधिकारियों की टीम बनाकर इन झोलाछाप पर कार्रवाई करने को आदेशित किया है। इसका नमूना पिछले दिनों बिल्सी में देखने को मिल चुका है।—-***-** संपादक सुशील धींगडा।