उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य सेवा समिति के तत्वावधान में 9 फरवरी 2025 को बदायूं के साहित्य जगत के वरिष्ठ साहित्यकार हास्य व्यंग्य के श्रेष्ठ कवि शमशेर बहादुर आंचल का 78 वाँ जन्मदिन,सम्मान समारोह एवं विराट कवि सम्मेलन के रूप में केक काटकर मनाया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व राज्य मंत्री एवं सदर विधायक महेश चंद्र गुप्ता जी ने सभी आमंत्रित साहित्यकारों का माल्यार्पण व प्रतीक चिन्ह देकर कर सम्मानित किया एवं विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश मंत्री राहुल चौबे जी एवं युवा मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष ध्रुव देव गुप्ता एवं भाजपा नगर अध्यक्ष जितेंद्र साहू जी रहे कार्यक्रम का सफल संचालन युवा कवि उज्जवल वशिष्ठ जी ने किया।।
कार्यक्रम की शुरुआत कवयित्री सरिता चौहान जी की सरस्वती वंदना के साथ हुई
कार्यक्रम में पधारे कवि आदर्श समय ने पड़ा……
तपन धूप की सही न जाए नहीं सुहाती छांव रे
ओट झरोखों से छुप छुप तकता है सारा गांव रे ।।
वरिष्ठ कवि कामेश पाठक जी ने पड़ा………
महाकुंभ की कृपा से दिल्ली में नैया पार हुई
कड़क चाय को विजय मिली शीश महल की हार हुई ।।
वरिष्ठ शायर जनाब अहमद अमजदी बदायूंनी ने पढ़ा……….
न कोई था न कोई है न कोई दूसरा होगा
कभी भी आपके जैसा कोई “आंचल” जमाने में ।।
कवि विष्णु गोपाल अनुरागी जी ने पड़ा…..
अपने आप को सभी दुखों का आदी कर लो
धीरे-धीरे खुद अपनी बर्बादी कर लो
ऐसा स्लो प्वाइजन भी है मेरे मित्रों
यदि घुट घुट के मरना है तो शादी कर लो।।
कार्यक्रम के अध्यक्ष हास्य व्यंग्य के वरिष्ठ कवि श्री शमशेर बहादुर आंचल जी ने पड़ा………
मेरी दुनिया आप सभी से आप सभी मेरे अपने
मेरी खुशियां आप सभी से आप सभी मेरे सपने ।।
बिल्सी से पधारे कवि विष्णु असावा जी ने पड़ा…….
बेटियों के हित हेतु करें सब नेक काम
इन्हें कभी आंख अश्रु लाने मत दीजिए
गलती अगर कोई बेटियों से हो भी जाए
समझाना सदा पर ताने मत दीजिए ।।
कवि उज्जवल वशिष्ठ ने पड़ा…………
चंद्र की सब कलाएं तुम्हारे लिए
प्रभु की हो सब अतायें तुम्हारे लिए
फूल भौंरे कली खुशबुएं तितलियां
सब मधुर गीत गए तुम्हारे लिए ।।
कवियत्री सरिता चौहान जी ने पढ़ा………
कर्म के फल विफल नहीं होते
सब मनोरथ सफल नहीं होते
जानकी वन अगर न जाती तो
प्रश्न दुनिया के हल नहीं होते ।।
कवियत्री दीप्ति सक्सेना दीप ने पड़ा………
घुन गईं जब सब किवाड़ें, शहर के महंगे भवन की।
तब मुझे गांव के घर की, चौखटें फिर याद आईं।
बिसौली से पधारी कवियत्री प्रिया वशिष्ठ “ओजस्विनी” जी ने पड़ा……..
बेटियों को अगवा करने वालो को
अब हम अगवा कर लेंगे ,
और 35 टुकड़े करने बालो के
70 टुकड़े कर देंगे..
अब हमारी बहनों के साथ
दुष्कर्म जो किया तुमने ..
तो धार रूप मां काली का
सोडित की नदिया बहा देंगे…
कभी विवेक यादव अज्ञानी जी ने पड़ा……..
अगर मैं दिए को जलाऊं कहीं पर
अंधेरे हैं जो वो बुरा मानते हैं
जला हूं मैं कितना चमकने की खातिर
मगर चंद जुगनूं कहां जानते हैं ।।
कभी ललतेश कुमार ललित ने पड़ा……..
प्रेम का बंधन है ऐसा, जिसे मुश्किल निभा पाना,
बहुत मुश्किल है इस जग में राधा मीरा बन जाना,
बहुत सी बंदिशें से तुमने खड़ी कर दी है इस पथ में,
बहुत मुश्किल है इस जग में किसी का श्याम बन जाना।
कवि राजवीर तरंग जी ने पड़ा……
जन्मदिवस की आप बधाई, ऑंचल जी स्वीकार करो।
प्रेम पुष्प श्रृद्धा अभिनन्दन, हम से अंगीकार करो।।
आप पर हो कृपा ईश्वर की, यह जीवन खुशहाल रहे।
नित्य प्रतिष्ठा परचम लहरे, स्वप्न सुधी साकार करो।।
सोरों से पधारे कवि आशीष दौनेरिया जी ने पड़ा……..
हर बार नहीं बारिश होती
कुछ बादल छाया करते हैं
सब खुद ही करना होता है
श्री कृष्ण न आया करते हैं ।।
बिसौली से पधारे कवि हरगोविंद पाठक दीन ने पढ़ा……….
कल भेजा था मैंने अपने घर को एक पत्र ।
समझ लिया उसने हर्ष में इसे प्रेम पत्र ।
सब कुछ है पर अंतर्मन में प्रेम नहीं है,
लिखा इसलिए मैंने अपनी माँ को पत्र ।।
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कवि अचिन मासूम ने पढ़ा…….
जमाने भर की दौलत को मैं ठोकर मार देता हूं
कमाई प्यार की दौलत सभी को प्यार देता हूं
मेरा दामन है खाली और कलम है हाथ में मेरे
मैं अपना हर लिखा मुक्तक तुम्हीं पे वार देता हूं ।।
कवि अमन मयंक शर्मा ने पढ़ा………
ऐसी कुछ आन बान हमारे वतन की है
आकाश तक उड़ान हमारे वतन की
हमको मिटा ना पाएगा दुश्मन कोई अमन
ऊंची बहुत चट्टान हमारे वतन की है ।।
कार्यक्रम में सर्वश्री सुरेंद्र नाज़ जी,ओजस्वी जौहरी सरल, विनोद सक्सेना बिन्नी, कवित्री गीतांजलि सक्सेना, अनिरुद्ध राय सक्सेना, अरविंद सक्सेना, पीयूष शर्मा, सुनील समर्थ, विपिन शर्मा, ऋषभ शर्मा, दीप्ति शर्मा, एकांश शर्मा, राशि शर्मा, मधु शर्मा समीर सक्सेना,दीपक सक्सेना,आशीष सक्सेना अंशु ,प्रदीप शर्मा शशि शर्मा, सुरेंद्र यादव, मोहित रस्तोगी, रवि वर्मा, रचित भारद्वाज आदि उपस्थित रहे ।।