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हूं तो मैं महिला अस्पताल…लेकिन यहां अव्यवस्थाओं से खुद हूं बीमार

* बदांयू 9 फरवरी।स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए सरकार तमाम योजनाएं बनाने के साथ बजट भी जारी करती रहती है। इसके बावजूद अस्पतालों में अव्यवस्था ही मिलती हैै। न जांच, दवा की सुविधा, न ही पर्याप्त सफाई की व्यवस्था। ऐसे मेंं अस्पताल खुद बीमार हो जाता है। कुछ ऐसा ही हाल है जिला महिला अस्पताल का। यहां मरीजों के बेड के गद्दे फटे हैं और चादर तीमारदार घर से लाते हैं। शौचालय में गंदा पानी भरा रहता है। दुर्गंध उठती रहती है। सीढ़ी के नीचे कचरे का ढेर मिल जाएगा लेकिन शिकायतों की कोई सुनवाई नहीं है।
अस्पताल में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं लेकिन सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। न समय से सफाई होती है न ही कूड़ा उठता है। अस्पताल परिसर में जगह-जगह कचरा बिखरा मिल जाएगा। सीढ़ी के नीचे तो कूड़े का ढेर ही पड़ा है। दुर्गंध के चलते लोग नाक दबाकर उधर से गुजरते हैैं। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन उदासीन है।

अस्पताल में भर्ती मरीजों का कहना है कि समय से चादर नहीं बदली जाती है। कई मरीजों को फटी चादर दे दी जाती है। अधिकांश तीमारदार अपने घर से चादर लाकर बिछाते हैं। शौचालय में हमेशा गंदा पानी भरा रहता है। दुर्गंध से मरीजों का वार्डों में रहना कठिन हो गया है। डाॅक्टर और कर्मचारी लापरवाह बने रहते हैं। शिकायत करने पर डांट दिया जाता है।

बोले मरीज-अपने परिजन के साथ इलाज कराने जिला महिला अस्पताल पहुंची अलापुर निवासी रामा देवी ने बताया कि अस्पताल में चारों तरफ गंदगी है। शौचालय तो जाने लायक नहीं है। गिरधरपुर निवासी कमला देवी ने बताया कि अस्पताल में गंदगी इतनी है दुर्गंध से वहां रहना मुश्किल है। शौचालय के सामने तो खड़ा होने लायक नहीं है।

नहीं सुनीं जाती हैं शिकायतें-महिला अस्पताल में मरीजों के खाना से लेकर भर्ती मरीज सफाई आदि अव्यवस्था की शिकायत करते हैं तो उनकी सुनवाई नहीं होती। वही आऐ दिन प्रसव के नाम पर महिला चिकित्सक की रूपये लेने की शिकायतों को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। अवैध उगाही के लिए भी काफी बदनाम हो चुका है महिला चिकित्सालय।————————————— सौम्य सोनी