उझानी बदांयू 9 फरवरी। लौकी गोभी टमाटर मटर गाजर पालक मेथी सब्जियों के दाम आसमान से जमीन पर आ गए। थोक मंडी में टमाटर 4 से 6 रुपए किलो बिक रहा है। जिससे किसानों को सब्जियों के वाजिब दाम नहीं मिल रहे है
सब्जी खरीदने के लिए अगर आप इन दिनों बाजार जा रहे हैं तो एक ही नोट पर झोला भर सामान लेकर आ सकते हैं। क्योंकि सब्जियों के दाम काफी गिरे हुए हैं, लेकिन सब्जियों के इस गिरते दाम ने सब्जी किसानों का हाल बेहाल कर दिया है। आलम ये है कि अब किसानों को लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। खेतों में फसल खड़ी हैं, लेकिन उसे बाजार ले जाने से भी अब वो झिझक रहे हैं। क्योंकि बाजार ले जाने के लिए जो भाड़ा लगता है, वो भी निकालना मुश्किल हो रहा है। —————————–
जिस तरह से इन दिनों सब्जियों के दाम गिरे हुए हैं, उसने सब्जी की खेती करने वाले किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। उनकी लागत निकालनी मुश्किल हो रही है। क्योंकि आज के इस अत्याधुनिक युग में खेती में उत्पादन तो होता है लेकिन शुरुआत में इतनी लागत लग जाती है, कि अगर फसल निकलने के समय में थोड़ी भी मिस्टेक हुई या दाम ऊपर नीचे हुआ तो फिर किसानों को लागत निकालना मुश्किल हो जाता है। इन दिनों में किसानों का कुछ ऐसे ही हाल है। सब्जियों के दाम गिरने से किसान परेशान 4 से लेकर 6 रुपए में मिल रहा टमाटर
इन दिनों सब्जी मंडी में व्यापारी बहुत सस्ते दाम पर सब्जियां बेच रहे हैं। तो सोचिए किसानों से वो कितने कम दामों पर सब्जियां खरीद रहे होंगे। थोक रेट में किसानों से टमाटर जहां ₹4 से लेकर ₹6 किलो तक खरीद रहे हैं। वहीं व्यापारी किसानों से फूल गोभी और पत्ता गोभी ₹3 से लेकर ₹5 किलो तक थोक रेट में खरीद रहे हैं। मटर ,गाजर, पालक, करने वाले किसान और सब्जी व्यापारियों की इन दिनों हालत खराब हो रही है। ये वही सीजनली सब्जियां हैं जो इन दिनों भरपूर मात्रा में निकल भी रही हैं। हर किसान के खेतों पर लगी हुई हैं।
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सुनिए किसान का दर्द
किसानों की हालत जानने के लिए कुछ किसानों से संपर्क किया। किसान झंडू सिंह ने बताया कि, ”कई एकड़ में सब्जियों की खेती करते हैं। अपने खेत में कई एकड़ में टमाटर, पत्ता गोभी, मटर, फूल गोभी हर तरह की सीजनल सब्जियां लगा रखी है। लेकिन उनकी हालत खराब है। इन दिनों सब्जियों का मार्केट इतना टूट चुका है, कि अब वो सरकार से यही निवेदन करते हैं कि कुछ ऐसा सिस्टम बनाएं जिससे किसान बचें, देश बचे और किसान कोई गलत कदम न उठाएं।
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किसानों ने खेतों में ही सब्जी को सड़ने के लिए छोड़ा। किसानों की चिंता, कहां से देंगे मजदूरों को पैसे
अब सब्जी भाजी के दाम टूट जाने से किसान परेशान हैं। किसान पूंजी तो लगा देता है, लेकिन फसल से लागत निकलना भी मुश्किल हो रहा है। तीन रुपए छ रुपए किलो टमाटर बेचकर तो यही होगा कि मजदूरों को घर से पैसे देने पड़ेंगे। महावीर सिंह बताते हैं कि, ”उन्होंने 5 एकड़ में टमाटर लगाया हे अब तक डेढ लाख रुपए तक की पूंजी लगा चुके हैं। लेकिन लागत निकालना मुश्किल दिख रहा है। वो तो यही मान रहे हैं कि मजदूरी का खर्च निकल जाए तो बहुत बड़ी बात होगी.”किसान ने बताया कि, ”मंडी में पत्ता गोभी के दाम बहुत कम थे। जिसे देखते हुए उन्होंने 3 एकड़ में लगी पत्ता गोभी की खड़ी फसल को ट्रैक्टर से जुताई दिया, इस उम्मीद के साथ कि अब उसमें नई फसल लगाएंगे। शायद उस फसल के दाम बढ़े तो उनकी पूंजी निकल सके.” रामू सिंह बताते हैं कि, ”मंडी में उनकी मटर की फसल 8 से दस रुपए किलो तक बिक रही है। वहीं गाजर 5 रूपए किलो तक बिक रही है। इससे मजदूरों की मजदूरी भी नहीं निकलती। साथ ही जिस गाड़ी से सब्जी लेकर जाते हैं उसके डीजल के पैसे निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
——————————- राजेश वार्ष्णेय एमके।