बिसौली। माँ शारदा के प्राकट्य दिवस पर संस्कार भारती ने अपने पांचवें उत्सव भारत माता पूजन को उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य सेवा समिति बदायूँ के सहयोग से विराट कवि सम्मेलन के रूप में मनाया। मुख्य अतिथि श्रीपाल शंखधार, सेवानिवृत्ति तहसीलदार, विशिष्ट अतिथि कृष्णा गुप्ता जिला मंत्री भाजपा महिला मोर्चा एवं संस्था के अध्यक्ष डा. रूपेंद्र आर्य ने मां भारती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर सभी उपस्थित सदस्यों ने पुष्प अर्पित करते हुए भारत माता का पूजन किया। परौली से पधारे कवि रमेश मिश्रा ने मां शारदा की वंदना पढ़कर कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया। प्रेम प्रकाश शर्मा खण्ड संघ चालक कार्यक्रम के अध्यक्ष व मुख्यवक्ता रहे। निर्मल कठेरिया अधिवक्ता, हरिओम पाराशरी भाजपा क्षेत्रीय सदस्य एवं विद्यालय के प्राचार्य गंगा प्रसाद ने बिसौली के कवि नरेंद्र प्रताप पाठक की नरेंद्र आभाषित नामक पुस्तक का विमोचन किया। संस्था का ध्येयगीत, राष्ट्रगीत व दीपमंत्र का गायन बिसौली के कवि हरगोविंद पाठक ( दीन ) ने किया। दूर दराज से आए कवियों ने माँ भारती पूजन के साथ अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बिल्सी से पधारे ओजस्वी जौहरी ने पड़ा – देखी नहीं इतनी तपिश मैंने किसी भी फूल में
उंगलियां तक जल गईं हैं इक जरा सी भूल में। खाक में मिलते हैं कैसे मुझको छू कर देखिए, चाह थी छू लूँ कुसुम पर मिल गया हूँ धूल में। श्री पाल शर्मा ने पड़ा – कोई जी रहा है मान और सम्मान में कोई तो जी रहा है धन बल और जान में संसार में आकर उसकी ही आशक्ति मिटी शरणागत जो हो गया हरि के नाम में।कवि सलिल कुमार शर्मा ने पढ़ा – वीणा वादिनी ज्ञान की देवी मुझपे दया बरसा देना। मेरे सर पे हाथ धरो मां प्रेम की ज्योति जगा देना। कवयित्री प्रिया वशिष्ठ ने पढ़ा – प्रेम तुमने किया जिस्मों से खेलकर। प्रेम कर नहीं सकते थे क्या जिस्मों को छोड़कर।।परौली के वरिष्ठ कवि अशोक द्विवेदी ने पढ़ा – चली गई खुशबू गुलाब से भंवरा गुन गुन छोड़ गए। जब से हुई रसायन खेती स्वाद धरा से चले गए।
बदायूँ के कवि शैलेन्द्र मिश्र देव ने पढ़ा – जपूं निरन्तर आपका मातु शारदे नाम, कर दो पूरण भक्त के सारे बिगड़े काम।। बिल्सी के वरिष्ठ कवि विष्णु असावा ने पढ़ा – जर्जर बूढ़ी काया मां की घर में टूटी खटिया पर, चार चार बेटे हैं फिर भी उसे भरोसा लठिया पर।। कवि प्रभाकर सक्सेना ने पढ़ा – सदा उन पे भरोसा रख वो तेरे काम आयेंगे। साथ जब छोड़ देंगे सब प्रभु बिगड़ी बनाएंगे। बदायूँ के कवि अचिन मासूम ने पढ़ा – चुनौती हो कठिन कितनी कदाचित वो नहीं डरते
जो अपनी प्राथमिकता में सदा निज देश को धरते, शहादत उन शहीदों की भुलाई जा नहीं सकती, लुटाते जो वतन पर जां वो मरकर भी नहीं मरते।। परौली के कवि आकाश पाठक ने पढ़ा – जो लोग गए थे कुम्भ बिना तेल साबुन और शीशा। वही लोग देख रहे थे माला वाली मोनालिसा। युवा कवि विवेक अज्ञानी ने पढ़ा – पाठ जब आचरण का पढ़ाते हैं हम, अपना असली चरित्र छिपाते हैं हम, अपने अन्दर के रावण को जिंदा रखा, और दशहरे का रावण जलाते हैं हम। कार्यक्रम संयोजक कवि हर गोविन्द पाठक ( दीन ) ने पढ़ा – तन समर्पित मन समर्पित और यह जीवन समर्पित। माँ भारती कर को यह अरदास मेरी कर कर रहा हूँ आज कुछ शब्द अर्पित। कार्यक्रम के समापन में संस्था के मंत्री विपिन गर्ग एवं धर्म जागरण समन्वय के जिला संयोजक चंद्रेश सक्सेना ने उपस्थित सभी सज्जनों को भागवत गीता एवं प्रसाद भेंट किया। संस्था के कोषाध्यक्ष देवेंद्र कुमार भट्ट ने पधारे कवियों, श्रोताओं एवं समस्त सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। कवियत्री आकांक्षा शर्मा, अमन मयंक शर्मा, ललतेश ललित, सुनील समर्थ, अमित वर्मा अम्बर, प्राचार्य गंगा प्रसाद, नगर संचालक प्रदीप रस्तोगी, नगर कार्यवाह शिवम् वार्ष्णेय, हर स्वरुप शर्मा, अरुण गुप्ता, राज किशोर शुक्ल, नीरज शर्मा विद्यालय कोषाध्यक्ष, वनवारी, अम्बरीष, परमानंद आदि उपस्थित रहे।