* **********उझानी बदांयू 3 फरवरी।
बसंत पंचमी पर संस्कार भारती की बीती शाम जीएस हॉस्पिटल में मां सरस्वती के पूजन के साथ काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कविगोष्ठी की अध्यक्षता चंद्रपाल सरल एडवोकेट ने की, डॉ गीतम सिंह ने संचालन किया। सर्वप्रथम सरस्वती वंदना विवेक चतुर्वेदी ने पढी उसके बाद कार्यक्रम को आगे बढ़ाया।
डॉ अरविन्द धवल ने इस तरह से पढ़ा।
मां वाणी का जन्म दिवस ऋतुराज बधाई गाएं।
विदा हो चला शीत चली वासंती मधुर हवाएं।। स्वर्ण रश्मियां दिनकर ने बरसाई आज धरा पर ।
शब्द माल अर्पित कर आओ मां को आज मनाएं।।
वारिस उझानवी ने कहा
परवरिश में हमारी कमी है कोई।
इसलिए वे अदब आज औलाद है।।
जाकर हुसैन ने कुछ इस तरह कहा।
यही तो इंसान है जब भी देखा है ।
इसको फितरत बदलते देखा है।।
शैलेंद्र घायल ने अपनी कविता इस तरह से पढ़ी।
यदि जीवन में तुम आ जाते। आंसू गंगा जल बन जाते।।
शुधिया घोर तिमिर में डूबी।
मन का दीप जलाने आते।।
विवेक चतुर्वेदी ने पढ़ा।
अमावस कह रही है समूचा आकाश रकाला है ।
मगर सूरज निकलते ही यहां होना उजाला है।।
हमारी धमनियों में खून बहता है शहीदों का।
हमें फांसी का फंदा महकते फूलों की माला है।।
डॉ गीतम सिंह ने पढ़ा।
मेरा घर मुझको जन्नत था, मैन जिसकी महारानी थी।
मेरे घर में पुरखों की बस , अंतिम यही निशानी थी।।
चंद्रपाल सिंह सरल एडवोकेट ने कुछ इस तरह से मां का अभिनंदन किया।
मां शारदे हम तेरा अभिनंदन करते हैं।
नैया पार लगा दे मैया बंधन करते हैं।।
इसके अतिरिक्त इस गोष्ठी में असलम शेख, हबीब कादरी, राज लायर ने कविताएं पढ़ी और श्रोताओं ने गोष्ठी का आनंद उठाया।———–****** राजेश वार्ष्णेय एमके।