*श्री रामकथा- वन गमन प्रसंग सुन श्रृद्धालु हुए भावविभोर*।*************उझानी बदांयू 1 फरवरी। नगर के कृष्णा मार्केट परिसर में चल रही ग्यारह दिवसीय राम कथा के नवें दिन कथा वाचक सामाजिक संत परम पूज्य श्री रवि जी ‘समदर्शी’ महाराज ने राम बनवास जाने की कथा सुनाई। कथा सुनकर श्रोता भावुक हो गए।
कथावाचक ने बताया कि अयोध्या के राजा दशरथ गुरु वशिष्ठ के परामर्श से प्रभु राम के तिलक की तैयारी में जुटे थे। वहां की जनता खुशी में पटाखे चलाने के साथ ही घी के दिऐ जला रही थी। इधर मंथरा ने सबसे छोटी रानी कैकेयी के मन में विद्वेष की भावना पैदा कर दी, कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वरदान के बदले राम को चौदह वर्ष का वनवास और भरत को अयोध्या का राजा बनाने की मांग रख दी। राजा दशरथ को कैकेयी की इच्छा जानकर काफी दुख हुआ। अंत में प्रभु श्रीराम मां सुमित्रा के आदेश पर साथ ले जाने के लिए तैयार हुए। साथ में सीता ने भी वनगमन के लिए प्रस्थान किया। भगवान के वन गमन की कथा सुनकर श्रोता भावुक हो गए। इस मौके पर शिव बोध धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी पगलानन्द जी महाराज ने भी रामकथा वाचक रवि जी महाराज का स्वागत किया।