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अब नहीं लगतीं बोझ… बदांयू में बढ़ी बेटियों की संख्यां

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राष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष—————————————–

बदांयू 24 जनवरी।
2015 में जहां प्रति हजार लड़कों पर बेटियों की संख्या 907 थी, 2024 में यह 935 हो गई
लोगों में जागरूकता और अलट्रासाउंड सेंटरों में सरकार की सख्ती का ही परिणाम है कि लिंग जांच पर कार्रवाई किए जाने से कम हुईं कन्या भ्रूण हत्याएं।
बेटियां अब लोगों के लिए बोझ नहीं हैं। लोगों की जागरूकता और अवैध रूप से चल रहे लिंग जांच केंद्रों पर कार्रवाई के कारण बीते पांच सालों में जिले में प्रति हजार लड़कों पर बेटियों की औसत संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2015 से 2019 के बीच यह अनुपात जहां औसतन 909 था, 2020 से 2024 के बीच यह आंकड़ा बढ़कर 920 तक पहुंच गया। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, वर्ष 2015 में जहां जिले में प्रति 1000 लड़कों पर 907 लड़कियां थी, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 935 हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में चल रहे अल्ट्रासाउंड केंद्रों के निरीक्षण और उनमें अवैध गतिविधियां मिलने पर उनपर कठोर कार्रवाई के कारण लिंग जांच की घटनाएं कम हुई हैं। साथ ही जागरूकता अभियान चलने से गर्भ में बेटियों की हत्या भी रुकी है। इसके अलावा बेटियों के जन्म से लेकर उनकी पढ़ाई आदि को लेकर भी सरकार की तरफ से की जा रही मदद का भी असर दिख रहा है। बेटियों के प्रति समाज की सोच में बदलाव लाने के लिए कई बड़े प्रयास किए जा रहे है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे अभियानों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग जिले में जागरूकता फैलाने के लिए नियमित रूप से कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इन अभियानों का मुख्य उद्देश्य भ्रूण लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या जैसी घटनाओं को समाप्त करना है।

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स्वास्थ्य विभाग की टीम नियमित रूप से स्वास्थ्य केंद्रों और अल्ट्रासाउंड केंद्रों का निरीक्षण करती है। अवैध रूप से भ्रूण लिंग परीक्षण करने वाले केंद्रों पर सख्त कार्रवाई की जाती है। ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कई केंद्रों को बंद कराया गया। लगातार प्रयासों से जिले में लिंगानुपात में सुधार आया है।
डॉ. रामेश्वर मिश्रा,सीएओ।