3:21 pm Thursday , 16 January 2025
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आंधियों के डर से क्या… दीपक जलाना छोड दें- उझानी में संस्कार भारती की काव्य गोष्ठी

।****///*** उझानी बदांयू 16 जनवरी। मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में आंबेडकर चोराहा के समीप जीएस हाॅस्पीटल में संस्कार भारती बृज प्रांत के तत्वावधान में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कासगंज और बदायूं के शायर और कवियों ने भाग लिया । इसका संचालन रामकुमार गंगवार द्वारा किया गया तथा अध्यक्षता चंद्रपाल सरल ने की।
सर्वप्रथम सरस्वती वंदना अब्दुल क़दीर ज़िया कासगंजवी के द्वारा पढी गई।

करते हैं मां भक्ति जन सब आपको शत-शत नमन।
अभिनंदनम् अभिनंदनम् शुभ स्वागतम्।

कवि विवेक चतुर्वेदी ने कहा,
माना पर्वत की तरफ राई चली जाएगी। किंतु पर्वत की तो ऊंचाई चली जाएगी।।

वारिस उझानवी ने कहा –
वह माहताब को खातिर में कैसे लाएगा जिस आदमी ने तुम्हारा जमाल देखा है।।

शैलेंद्र घायल ने कहा –
सपना हो इंद्रधनुषी शामली घटाओं में, बरसे कनक खुशियां सिंदूरी दिशाओं में।

रामकुमार गंगवार ने कुछ इस तरह से पढ़ा कि-
आंधियों के डर से क्या,
दीपक जलाना छोड़ दें।

अरविंद धवन ने कुछ इस तरह से पढ़ा –
नशे में हम किसी हद से गुजर जाए तो क्या कीजै,
कदम यह बेखुदी में भी उधर जाएं तो क्या कीजै।।
ये माना तीर ओर तलवार के माहिर खिलाड़ी हैं ,
किसी के बोल सीने में उतर जाए तो क्या कीजे।

डॉ गीतम सिंह ने कहा।
तुम्हारी सरपरस्ती ने हमारा नाश कर डाला।
हमारी जिंदगी को एक जिंदा लाश कर डाला।।

कासगंज से आए तौसीफ अहमद तौसीफ ने कहा।
जो आसमान पर अख्तर दिखाई देते हैं,
अंधेरी रात के जेवर दिखाई देते हैं।।

चंद्रपाल सिंह सरल ने कुछ इस तरह से कहा –
जमीन से कौन जुड़ना चाहता है।
जिसे देखो वह उड़ना चाहता है।।

इस गोष्ठी में डॉ हबीब कादरी, डॉ विकास प्रजापति ,आकाश प्रजापति,जय किशन गोला ,गिरीश चंद्र गोला, हंसराज, जय किशन, पन्ना लाल आदि मौजूद रहे।।———-**— राजेश वार्ष्णेय एमके