जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। आईए जानते हैं ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा से मकर संक्रांति के संदर्भ में कब मानना उचित रहेगा पर्व, ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस दिन दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान-दान का विशेष महत्व है,लेकिन अगर ऐसा करना असंभव है तो घर पर ही नहाने वाले पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें, ऐसा करने से भी गंगा स्नान जितना फल की प्राप्ति होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान करने से व्यक्ति के धन-धान्य में कमी नहीं होती है। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन उड़द की दाल और चावल का दान किया जाता है। साथ ही तिल, चिड़वा, सोना, ऊनी वस्त्र, कंबल आदि दान करने का भी महत्व है। बता दें कि इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। इसका प्रमुख कारण यह है सूर्य 14 जनवरी को 9:03 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे प्रवेश तिथि ही मकर संक्रांति का निर्माण करती है।
मकर संक्रांति 2025 स्नान-दान मुहूर्त
मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा जबकि समाप्त सायं 5 बजकर 46 मिनट पर होगा।
मकर संक्रांति का महापुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से सुबह 10 बजकर 4 मिनट तक रहेगा।
वहीं 14 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 27 मिनट से 6 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।
अमृत काल का शुभ मुहूर्त सुबह में 7 बजकर 55 मिनट से 9 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान के लिए पूरा दिन शुभ और अति उत्तम माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन तिल जरूर खाना चाहिए।
आचार्य राजेश कुमार शर्मा 9058810022
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