बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ
एक समय वह था जब जनसंघ में वैश्य और पंजाबी समुदाय महत्वपूर्ण कडी माने जाते थे, उस समय बेला नरेश ठा ओमकार सिंह बदायूं के सांसद हुआ करते थे और श्री कृष्ण स्वरूप वैश्य नगर विधायक हुआ करते थे जो प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे थे। 1977 के चुनाव तक जनसंघ में सब इसी प्रकार चल रहा था और जनता पार्टी मे भी पंजाबी और वैश्य एक मंच पर साथ – साथ दिखे और प्रेम प्रकाश वैश्य, आत्म प्रकाश, पूर्व ठा ब्रज पाल सिंह एवं डा राजेन्द्र शर्मा एवं साईदत्तामल धींगडा और नानक चंद नारंग इस कढी के मुख्य संवाहक दिखाई देते थे। परंतु जब उसके बाद भाजपा का गठन हुआ तो बदायूं में जनसंघ को मजबूत बनाने में सक्रिय भूमिका निभाने वालों को योजना वृद्ध तरीके से पुराने और समर्पित लोगों को भाजपा से दूर करना शुरू किया जो अब तक निरन्तर जारी दिख रही है और ऐसा लग रहा है कि भाजपा के संगठनात्मक चुनाव में बदायूं के पालनहारों ने योजना वृद्ध तरीके से समर्पित लोगों को दूर करने का कार्य किया है जिसका परिणाम समर्पित लोग चुनाव प्रक्रिया से पूरी तरह दूर दिखाई दे रहे हैं।