।*****//*** उझानी बदांयू 6 जनवरी। इस वक्त पूस की सर्द रातें क्षेत्र के हजारों किसान छुट्टा पशुओं से अपनी फसल बचाने के लिए हाड़कंपाती ठंड में खेतों में गुजार रहे हैं। उनकी आंखों में नींद आई नहीं कि छुट्टा पशु महीनों की मेहनत से उपजी फसल चट करने में देर नहीं लगाते।
जिला प्रशासन गोवंशीय पशुओं को संरक्षित करने के लिए अभियान चलाने की बात कह रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत बिलकुल अलग है। छुट्टा पशु सड़कों और खेतों पर घूम रहे हैं। इस समय गेहूं-सरसों, आलू की फसल खेतों में लहलहा रही है। दिनभर झुंड बनाकर गोवंशीय पशु गांव के आसपास बैठे रहते हैं।
शाम ढलते ही वे खेतों में घुसने लगते हैं। अगर निगाह चूकीं तो समझो मिनटों में फसल चट कर जाते हैं। ऐसे में किसान इस भीषण ठंड में भी खेत पर फसल की रखवाली के लिए रुकते हैं। पन्नी डालकर चारपाई पर जगते हुए ही रातें गुजारने को मजबूर हैं। वही छुट्टा पशु से किसानों को अपनी जान की भी रखवाली करनी होती है। कई बार इन्हें भगाने के दौरान पशु उन पर ही हमला कर देते हैं। किसानों का कहना है कि प्रशासन की टीम कभी पशुओं को पकड़ने नहीं आती।———————— राजेश वार्ष्णेय एमके।