11:33 pm Saturday , 1 February 2025
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समर्पण

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_*🪷🥀 समर्पण 🥀🪷*_
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*_एक बार किसी गांव में महात्मा बुध्द का आगमन हुआ।_*
*_सब इस होड़ में लग गये- कि क्या भेंट करें।_*
*_उसी गाँव में एक गरीब मोची था। उसने देखा- कि मेरे घर के बाहर के तालाब में बे-मौसम का एक कमल खिला है!_
*_उसकी इच्छा हुई कि,आज नगर में महात्मा बुद्ध आए हैं, सब लोग तो उधर ही गए हैं!_*
*_आज हमारा काम चलेगा नहीं!_*
*_आज यह फूल बेचकर ही गुजारा कर लें।_*
*_और वह तालाब के अंदर कीचड़ में घुस गया।_*
*_कमल के फूल को लेकर आया। केले के पत्ते का दोना बनाया और उसके अंदर कमल का फूल रख दिया।_*
*_पानी की कुछ बूंदें कमल पर पड़ी हुई हैं- और वह बहुत ही सुंदर दिखाई दे रहा है।_*
*_इतनी देर में एक सेठ पास आया- और आते ही कहा: “क्यों फूल बेचने की इच्छा है “….?_*
*_आज हम आपको इसके- “चांदी के दो रूपए” दे सकते हैं।_*
*_अब उसने सोचा… कि एक-दो आने का फूल! इस के दो रुपए दिए जा रहे हैं।_*
*_वह आश्चर्य में पड़ गया।_*
*_इतनी देर में नगर- सेठ आया!_*
*_उसने कहा: ”भई! फूल तो बहुत अच्छा है, यह फूल हमें दे दो” हम इसके- “दस चांदी के सिक्के” दे सकते हैं।_*
*_मोची ने सोचा: इतना कीमती है यह फूल।_*
*_नगर सेठ ने मोची को सोच मे पड़े देख कर कहा: कि अगर पैसे कम हों, तो ज्यादा दिए जा सकते हैं।_*
*_मोची ने सोचा: क्या बहुत कीमती है ये फूल.?_*
*_नगर सेठ ने कहा: मेरी इच्छा है कि मैं महात्मा के चरणों में यह फूल रखूं। इसलिए इसकी कीमत लगाने लगा हूं।_*
*_इतनी देर में उस राज्य का मंत्री (वजीर ) अपने वाहन पर बैठा हुआ पास आ गया-और कहता है- क्या बात है….?_*
*_कैसी भीड़ लगी हुई है….?_*
*_अब लोग- कुछ बताते- इससे पहले ही उसका ध्यान उस फूल की तरफ गया।_*
*_उसने पूछा- यह फूल बेचोगे…?_*
*_हम इसके “सौ सिक्के” दे सकते हैं। क्योंकि महात्मा बुद्ध हुए हैं। ये सिक्के तो कोई कीमत नहीं रखते।_*
*_जब हम यह फूल लेकर जाएंगे, तो सारे गांव में चर्चा तो होगी- कि महात्मा ने केवल मंत्री का भेंट किया हुआ ही फूल स्वीकार किया। हमारी बहुत ज्यादा चर्चा होगी।_*
*_इसलिए हमारी इच्छा है- कि यह फूल हम भेंट करें!_*
*_और कहते हैं कि- थोड़ी देर के बाद राजा ने भीड़ को देखा, देखने के बाद वजीर से पूछा कि बात क्या है…?_*
*_वजीर ने बताया कि फूल का सौदा चल रहा है।_*
*_राजा ने देखते ही कहा: इसको हमारी तरफ से-_*
*_”एक हजार चांदी के सिक्के” भेंट कर दो-_*
*_यह फूल हम लेना चाहते हैं।_*
*_गरीब मोची ने कहा: महाराज! लोगे तो तभी ना..! जब हम बेचेंगे।_*
*_हम बेचना ही नहीं चाहते।_*
*_तब राजा कहता है कि… बेचोगे क्यों नहीं….?_*
*_तो उसने बड़ी विनम्रतापूर्वक कहा: कि महाराज!जब हर कोई महात्मा जी के चरणों में , कुछ-न-कुछ भेंट करने के लिए पहुंच रहे हैं..!_*
*_तो ये फूल इस गरीब की तरफ से आज उनके चरणों में भेंट होगा।_*
*_राजा बोला: देख लो, एक हजार चांदी के सिक्कों से तुम्हारी पीढ़ियां तर सकती हैं।_*
*_गरीब मोची ने कहा: मैंने तो आज तक राजाओं की सम्पत्ति से किसी को तरते नहीं देखा- लेकिन महान पुरुषों के आशीर्वाद से तो लोगों को जरूर तरते देखा है।_*
*_राजा मुस्कुराया,और कह उठा- “तेरी बात में दम है “- तेरा संकल्प पूरा हो,अब तो तू ही भेंट करेगा!_*
*_और राजा उस उद्यान में चला गया, जहां महात्मा बुद्ध ठहरे हुए थे…!_*
*_और बहुत जल्दी यह पूरी चर्चा महात्मा बुद्ध के कानों तक भी पहुंच गई, कि आज कोई आदमी फूल लेकर आ रहा है..!_*
*_जिसकी कीमत बहुत लगी है।_*
*_वह गरीब आदमी है,इसलिए फूल बेचने निकला था- कि उसका गुजारा होता।_*
*_जैसे ही वह गरीब मोची फूल लेकर पहुंचा, तो शिष्यों ने महात्मा बुद्ध से कहा- कि वह व्यक्ति आ गया है।_*
*_लोग एकदम सामने से हट गए। महात्मा बुद्ध ने उसकी तरफ देखा। मोची फूल लेकर जैसे पहुंचा, तो उसकी आंखों में से आंसू बरसने लगे।_*
*_कुछ बूंदे तो पानी की- कमल पर पहले से ही थी… कुछ उसके आंसुओं के रूप में ठिठक गई- “कमल पर “_*
*_रोते हुए इसने कहा: सब ने बहुत-बहुत कीमती चीजेें आपके चरणों में भेंट की होंगी!_*
*_लेकिन इस गरीब के पास यह कमल का फूल और जन्म- जन्मान्तरों के पाप जो मैंने किए हैं उनके आंसू आंखों में भरे पड़े हैं।_*
*_उनको आज आपके चरणों में चढ़ाने आया हूं।_*
*_मेरा ये फूल और मेरे आंसू भी स्वीकार 😢करो।_*
*_महात्मा बुद्ध के चरणों में फूल रख कर- वह गरीब मोची घुटनों के बल बैठ गया।_*
*_महात्मा बुध्द ने अपने शिष्य आनन्द को बुलाया और कहा:_*
*_देख रहे हो आनन्द! हजारों साल में भी कोई राजा इतना नहीं कमा पाया, जितना इस गरीब इन्सान ने- आज एक पल में ही कमा लिया।_*
*_इसका समर्पण श्रेष्ठ हो गया।_*
*_इसने अपने मन का भाव दे दिया।_*

*_🌸 जय श्री राधे 🌸_*

*_🪴। संकलन कर्ता :- आशुतोष शर्मा पुत्र श्री ओम प्रकाश शर्मा आदर्श नगर सिविल लाइन गली नंबर 3 बदायूं।। 🪴_*
*_🪷 ।। गूगल से साभार।। 🪷_*