4:46 am Friday , 31 January 2025
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सड़क हादसों में किशोरों की बढ़ती मौतें: लापरवाह ड्राइविंग और अभिभावकों की गैर-जिम्मेदारी बनी बड़ी वजह

सहसवान (बदायूं) देश में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिसमें किशोरों की मौतें चिंताजनक हैं। जिम्मेदार नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता सय्यद तसव्वर अली उर्फ बब्बू नक़वी ने इस गंभीर समस्या पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “अभिभावकों द्वारा किशोरों को वाहन देना उनकी जान के साथ खिलवाड़ है।“

सड़क हादसों के खतरनाक आंकड़े :
2023 में सड़क दुर्घटनाओं में हर दिन औसतन 474 लोगों की जान गई। इसका अर्थ है कि लगभग हर तीन मिनट में एक मौत हुई। केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में 1.73 लाख लोग सड़क हादसों में मारे गए, जिसमें बड़ी संख्या में किशोर शामिल हैं। एक एनजीओ की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर घंटे एक किशोर की मौत सड़क दुर्घटनाओं में होती है।

लापरवाही और तेज रफ्तार बनी जानलेवा :
विशेषज्ञों का कहना है कि दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट न पहनना, तेज रफ्तार और लापरवाही मुख्य कारण हैं। 2017 के आंकड़ों के अनुसार, हेलमेट न पहनने से 36,687 लोगों की मौत हुई और 35,975 लोग घायल हुए थे। इसके अलावा, ई-रिक्शा वाहनों (तिर्री) के बढ़ते प्रचलन और उनके लापरवाह चालको ने भी समस्या को और गंभीर बना दिया है।

किशोरों को गाड़ियों की चाबी सौंपना कितना खतरनाक?
सय्यद तसव्वर अली ने बताया कि कई अभिभावक अपने नाबालिग बच्चों को बाइक, और कार चलाने की अनुमति दे रहे हैं। बाजार और सड़कों पर तेज रफ्तार से वाहन चलाना, जोरदार संगीत बजाना और यातायात नियमों का पालन न करना सड़क हादसों का मुख्य कारण बन रहा है। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ एक किशोर की जान को खतरे में डालता है, बल्कि अन्य राहगीरों के लिए भी घातक साबित होता है।

हेलमेट न पहनने की वजह से दो किशोरों की दर्दनाक मौत :
पिछले महीने सहसवान कस्बे में दो दर्दनाक सड़क हादसों ने सभी को झकझोर कर रख दिया था । इन घटनाओं में दो किशोर अपनी जान गंवा बैठे। पहली घटना में मोहल्ला अकबराबाद के निवासी बच्चन मेवाती के इकलौते बेटे तबरेज (उम्र 16 वर्ष)की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई, जबकि दूसरी घटना में मोहल्ला रुस्तम टोला के निवासी मोहम्मद उमर के इकलौते बेटे कलाम ( उम्र 13 वर्ष) की जान चली गई। एक्सिडेंट के समय दोनों ही किशोर तेज़ रफ़्तार बाइक पर सवार थे और उन्होंने हेलमेट नहीं पहना हुआ था।

इन घटनाओं ने पूरे शहर को गमगीन कर दिया है। दोनों परिवार अपने इकलौते बेटों को खोकर गहरे सदमे में हैं। माता-पिता का कहना है कि यह हादसा उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा दुःख है। इन घटनाओं ने एक बार फिर हेलमेट पहनने और सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करने की अहमियत को उजागर किया है।

अव्यस्क ई-रिक्शा चालक से भी बढ़ रहा खतरा :

अव्यस्क लड़के जो तिर्री (तीन पहिया वाहन) को तेज रफ्तार और लापरवाही से चलाते हैं, वे न केवल अपनी जान को खतरे में डालते हैं, बल्कि सड़कों और बाजारों में अन्य लोगों के लिए भी बड़ा खतरा बनते हैं। ये लड़के तेज आवाज में गाने बजाते हुए ट्रैफिक नियमों की पूरी तरह अनदेखी करते हैं और लापरवाह तरीके से वाहन चलाते हैं। उनकी यह आदत दुर्घटनाओं को बढ़ावा देती है ।अभिभावकों और प्रशासन को इस पर सख्त ध्यान देने की आवश्यकता है।

सामाजिक अपील: जिम्मेदारी निभाएं अभिभावक-
सय्यद तसव्वुर अली ने कहा, “अभिभावकों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को यातायात नियमों का पालन करना सिखाएं और उन्हें वाहन चलाने की अनुमति तभी दें जब वे इसके लिए कानूनी रूप से योग्य हों।“ उन्होंने अवयस्क ई- रिक्शा चालकों की बढ़ती लापरवाही पर भी सवाल उठाए और प्रशासन से इस पर सख्ती बरतने की अपील की है।

युवाओं को जिम्मेदार बनाएं :
उन्होंने किशोरों, युवाओं और सभी लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सड़क पर वाहन चलाते समय हेलमेट पहनें, सीट बेल्ट का इस्तेमाल करें, और तेज रफ्तार और स्टंट से बचें। उन्होंने युवाओं को यह भी समझाया कि उनकी जिंदगी अमूल्य है और सड़क पर एक छोटी सी गलती उनके जीवन को खत्म कर सकती है।

प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे :
सय्यद तसव्वुर अली उर्फ़ बब्बू नक़वी ने स्थानीय प्रशासन से भी आग्रह किया कि नाबालिगों को वाहन चलाने की अनुमति देने वाले अभिभावकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, ई- रिक्शा चालको को यातायात नियमों का पालन करने के लिए जागरूक किया जाए।

निष्कर्ष: सजगता से बचाई जा सकती है जान
सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए समाज, अभिभावकों और प्रशासन को मिलकर काम करना होगा। किशोरों को सुरक्षा के महत्व को समझाना और यातायात नियमों का पालन करना ही हादसों को रोकने का उपाय है। सय्यद तसव्वुर अली ने कहा, “यदि हमने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो हमारी सड़कें मौत का मंजर बनती रहेंगी।“

यह खबर न केवल सचेत करती है, बल्कि हर नागरिक को जिम्मेदारी का एहसास कराती है कि सुरक्षित सड़कें तभी संभव हैं, जब हम सब मिलकर प्रयास करें।

/रविशंकर