उझानी बदांयू 14 दिसंबर।
अभिभावक स्कूल संचालकों को जितनी भी मोटी फीस देते रहें और कोर्ट भी बच्चों को सुरक्षित तरीके से घर से स्कूल भेजने व लाने के लिए निर्देश जारी करता रहे, लेकिन स्थिति अब भी चिंताजनक है। नियम ताक पर होने के कारण हर दिन अपनी जान हथेली पर लेकर नौनिहाल असुरक्षित वाहनों में सफर करते हैं, लेकिन उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है।
नगर क्षेत्र के स्कूलों में बच्चों को लाने, ले जाने के लिए स्कूल प्रबंधन की ओर से लगाए गए वाहनों के फिटनेस परमिट नहीं हैं। फिर भी यह सड़क पर बेखौफ होकर फर्राटा भर रहे हैं। इन वाहनों को चलाने वाले कई ड्राइवरों के पास लाइसेंस भी नहीं है। लेकिन कार्रवाई तो दूर अब तक इन पर लगाम कसने के लिए विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। परिवहन विभाग सिर्फ वाहन संचालकों व प्रबंधकों को नोटिस भेजकर कार्रवाई का कोरम पूरा कर ले रहा है। लेकिन, वाहन फिट हैं या नहीं, वाहन के अंदर अग्निशमन यंत्र व फर्स्ट एड बाॅक्स है या नहीं, इसे देखने की जहमत कोई नहीं करता है।
इनकी जांच-पड़ताल सिर्फ अभियान के दिनों में ही होती है। वाहन ही फिट नहीं है तो इसमें बैठने वाले बच्चे कितने सुरक्षित होंगे, इसको आसानी से समझा जा सकता है। यही नहीं मारुति वैन, जीप, टेंपो जैसी कुछ प्राइवेट गाड़ियां जो थोड़ी पुरानी हैं और इनका चलन धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। वहीं स्कूलों के वाहनों को कवर भी नहीं किया जाता है, जिससे कभी खतरा हो सकता है।
वाहन चालकों के लिए ये हैं नियम
– चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य।
– चालक नाम पट्टिका के साथ ड्रेस कोड हो।
– स्कूल वाहन के लिए परमिट अनिवार्य।
– गति सीमा निर्धारण के लिए वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाया जाना जरूरी।
– लोकेशन ट्रैकिंग के लिए जीपीएस प्रणाली अनिवार्य।
– बसों में सीसीटीवी कैमरा होना जरूरी।
– वाहनों में अग्निशमन यंत्र, फर्स्ट एड बाॅक्स का होना जरूरी।
– बच्चों के बैग रखने के लिए रैक की व्यवस्था।
– वाहन पीले रंग का होगा, वाहन के अंदर का दृश्य स्पष्ट रूप से देख सकें।
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परिवहन विभाग व पुलिस की अनदेखी के चलते बिना पंजीयन वाले स्कूली वाहन शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों पर बेधड़क दौड़ रहे हैं। स्कूल की तरफ से वाहन खरीदे लंबा समय गुजरने के बाद भी कई वाहन मालिकों ने पंजीयन नंबर अंकित कराने की जहमत तक नहीं उठाई है। वहीं जो कराए हैं, वह भी नंबरप्लेट को तोड़ देते है, जिससे गाड़ी का चालान न हो सके।——————- राजेश वार्ष्णेय एमके।