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गंगा मैया ने क्यों की अपनी ही,सात संतानों की हत्या

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🪷 गंगा मैया ने क्यों की अपनी ही,सात संतानों की हत्या 🪷
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हस्तिनापुर नरेश शांतनु को- “गंगा ” से प्रेम हो गया था! और शांतनु ने उनसे विवाह की इच्छा जताई! गंगा भी इसके लिए मान गई!
लेकिन राजा के सामने गंगा ने यह शर्त रखी- कि वह अपनी इच्छा के अनुसार रहेगी और उन्हें कोई रोका- टोकी नहीं करेगा।
अगर उन्हें किसी कारण- रोका-टोका गया, तो वह राजा शांतनु को छोड़कर चली जाएगी।
चूकि राजा गंगा से प्रेम करता था- इसलिए उसने उनकी यह शर्त भी मान ली- और वचन दिया कि वो कभी गंगा को किसी बात पर नहीं रोकेंगे! लेकिन बाद में गंगा को दिया यही वचन उनके लिए मुसीबत बन गया।
जब गंगा और शांतनु का विवाह हुआ- तो गंगा गर्भवती हुई. लेकिन शिशु को जन्म देने के बाद गंगा हर नवजात शिशु को नदी में बहा देती थी!
इस तरह से गंगा ने अपने 7 पुत्रों को नदी में बहाकर हत्या कर दी।
राजा शांतनु ने मां गंगा को वचन दिया था- कि वह कभी किसी बात को लेकर उनसे प्रश्न नहीं करेंगे. इसलिए वो गंगा से कुछ नहीं कह पाते थे. वो अकेले में रोते थे- और विलाप करते थे और बिना कोई प्रश्न किए एक विवश मछली की तरह तड़प रहे थे।

8वां पुत्र होने पर शांतनु ने गंगा से किया प्रश्न
7 संतानों को नदी में बहाने के बाद गंगा ने 8वें पुत्र को जन्म दिया!
उसे भी गंगा बहाने के लिए नदी की ओर ले जा रही थी- शांतनु भी गंगा के पीछे-पीछे जा रहे थे. जैसे ही गंगा 8वें संतान को नदी में बहाने वाली थी- कि शांतनु ने उन्हें रोक लिया- और कहा: कि अब उनसे यह सहन नहीं होता।
तब गंगा ने कहा: कि आप वचनबद्ध हैं!
राजा ने कहा: कि, जिसने तुम्हें वचन दिया था वह चंद्रवंशी राजा था और आज जो तुम्हें रोक रहा है वह पिता है!
तुमने एक-एक कर मेरे सातों पुत्रों की हत्या कर डाली- लेकिन अब मैं तुम्हें अपने आठवें पुत्र की हत्या नहीं करने दूंगा!
आखिर तुम ऐसा क्यों कर रही हो….?

गंगा ने बताई संतानों की हत्या करने की वजह
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गंगा ने शांतनु से कहा: कि मैने अपनी संतानों की हत्या नहीं की- बल्कि उन्हें श्रापमुक्त किया है! मैं स्वर्ग में रहने वाली ब्रह्मापुत्री गंगा आपके साथ यहां धरती पर एक श्राप के साथ रह रही हूँ! गंगा ने शांतनु से कहा: कि, आप पिछले जन्म में महाराज महाभिषक थे, जो कि एक दिन स्वर्ग में देवताओं के साथ इंद्रलोक में आए थे।
तभी मैं (गंगा ) और मेरे पिता (ब्रह्मा देव ) वहां पहुंचे! महाराज महाभिषक मेरी सुंदरता देखकर मोहित हो गए- और मैं भी उनमें खो गई- यह देखकर ब्रह्म देव को गंगा और महाभिषक पर क्रोध आ गया, जिसके बाद उन्होंने महाभिषक और गंगा दोनों को मनुष्य के रूप में जन्म लेने का श्राप दे दिया।
इतना सुनते ही शांतनु ने कहा: कि, क्या हमारी सभी संतानें भी उसी श्राप का हिस्सा हैं. तब मां गंगा ने कहा कि,नहीं आर्यपुत्र आपकी आठों संतान तो वसु हैं. वसु द्वारा वशिष्ठ ऋषि की गाय को चुराने पर ऋषि ने उन्हें धरती पर जन्म लेने के लिए श्राप दिया था. तब मैंने ही ऋषि वशिष्ठ को वचन दिया था कि मैं अपनी कोख से इन्हें जन्म दूंगी और इसके बाद मृत्यु लोक से उन्हें मुक्ति दिलाऊंगी. लेकिन आपने जिस आठवें पुत्र को आज मृत्यु से बचाया है, उसे धरती पर रहकर श्राप भोगना पड़ेगा. क्योंकि चोरी में इसी का मुख्य हाथ था।
“वसु कोन थे….? ”
हिन्दू धर्म के महान ग्रंथ बृहदारण्यकोपनिषद में तैंतीस देवताओं का विस्तार से परिचय मिलता है। इनमें जो हमारी पृथ्वी लोक के देवता कहे गए हैं, उनमें आठ वसु का ही स्मरण किया जाता है। इन्हें ही हमारी इस धरती का देवता भी माना जाता है।

‘धरो ध्रुवश्च,सोमश्च, अहश्चैवानिलोअनत:।
प्रत्यूषश्च प्रभासश्च, वसवो अष्टाविति स्मृता:॥’
अर्थात:~ अहश,ध्रुव, सोम,धरा,अनिल, अनल,प्रत्यूष और प्रभास हैं।
इन आठ वसुओं में सबसे छोटे वसु प्रभास ने एक दिन वशिष्ट जी की गायों को लालचवश चुरा लिया।
वशिष्ट जी ने इनको पृथ्वी पर जन्म लेने का श्राप दे दिया। आठों वसुओं ने उनसे क्षमा मांगी।
तब सात वसुओं को उन्होंने कहा कि- तुम पृथ्वी पर जन्म लेने के कुछ ही समय बाद मृत्यु को प्राप्त करोगे, लेकिन प्रभास लंबे समय तक पृथ्वी लोक पर ही रहेगा।
इसका ना तो विवाह होगा- और ना ही कोई संतान होगी।
जानते हैं- यह प्रभास कौन था? वह थे भीष्म पितामह! जिन्होंने जीवन भर विवाह ना करने की प्रतिज्ञा की थी।
उनकी माता गंगा ने जो सात पुत्र पैदा होते ही गंगा में बहा दिए थे, वह सातों वसु ही थे।
केवल प्रभास ही बचा था। अग्नि को प्रथम वसु माना जाता है, क्योंकि अग्नि में हवन के माध्यम से ही सभी देवी-देवताओं को उनका आहार मिलता है। यह वसु ब्रह्मजी के पौत्र माने जाते हैं।

भीष्म पितामह थे! गंगा और शांतनु के 8वें पुत्र

गंगा और शांतनु का यह आठवां पुत्र- और कोई नहीं बल्कि देवव्रत था- जोकि अपनी प्रतिज्ञा के कारण भीष्म पितामह कहलाए! भीष्म पितामह को कोई सांसारिक सुख की प्राप्ति नहीं हुई- और इन्हें जीवन से लेकर मृत्यु तक बहुत कष्ट झेलना पड़ा।
*🌸 जय श्री राधे 🌸
🪴।।जय जय श्री राम।। 🪴
🪷 ।।हर हर महादेव।। 🪷

गूगल से साभार