****** बदांयू 5 दिसंबर। उझानी से सिविल लाइंस थाने पहुंचे इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह पर कहावत सटीक बैठती है कि सर मुंडाते ही ओले गिरे, उनकी कार्यप्रणाली में शामिल हैं कोर्ट के आदेश की अवहेलना करना, व अपराधियों पर नकेल ना कसना। उन्होंने उझानी कोतवाली में ढाई साल सिर्फ सत्ता की परिक्रमा करके ही काट लिए। उनका विवादों से हमेशा से गठजोड़ रहा। उझानी में ढाई साल के कार्यकाल में एक भी काम ऐसा नहीं किया जिससे उन्हें याद किया जाऐ। नगर में दर्जनों चोरियां हुई,बाइक भी अनगिनत चोरी हुई, गोकशी हो या सट्टा जुआ किसी पर रोक नहीं लगा पाए। इंस्पेक्टर मेनिजमेंट के जरूर बादशाह रहे। चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष मीडिया कर्मी हो या आम जनता सभी को मेनेज करने में महारत हासिल है। उझानी में रहते हुए एडीजीसी साधना शर्मा मर्डर केस में उनपर बरामद 4600 रूपये बदलने के आरोप में हेडमोहर्रिर सहित मुकदमा पंजीकृत हुआ। बरेली में न्यायालय के कटघरे में दो घंटे खडे रहना हो। या अब सिविललाइंस का चार्ज लेते ही बरेली नन्हे हत्याकांड में आरोपियों को फायदा पहुंचाने में एसएसपी द्वारा मंडी समिति चौकी प्रभारी सहित चार पुलिस कर्मियों को निलंबित करना, इसकी आंच मनोज कुमार सिंह की तरफ भी आऐगी। क्योंकि जिम्मेदारी उनकी भी बनती है।————————— मनोज कुमार सिंह के उझानी रहते कोतवाली को दो सिपाही चंगू-मंगू चलाते थें। यह दो सिपाही लम्बे समय से उझानी में जमें है। एसएसपी की तबादला एक्सप्रेस में शायद इनका रिज़र्वेशन नहीं है। चंगू-मंगू इतने घाघ है कि अवैध खनन,जुआरियों व सटोरियों सहित नगर में जितने भी गलत काम होते हैं उनसे सेटिंग व उगाही करना इन्हीं दोनों का काम है। उझानी के नये इंस्पेक्टर को अगर अपराधों पर रोक लगानी है तो चंगू-मंगू के पर कतरने होंगे।-