चंद्रमा का शाप दूर करने को शिव ने अपने सिर पर धारण लिया था
तब भगवान शिव को सोमेश्वर नाथ का नाम दिया गया
बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव पिंडौल में प्राथमिक स्कूल के निकट मैदान पर चल रही शिव महापुराण कथा में आचार्य संत श्री निराला महाराज ने भोलेनाथ का नाम सोमेश्वर नाथ पड़ने की कथा बहुत ही रोचक ढंग से सुनाते हुए कहा कि भगवान शिव को सोमेश्वर नाथ का नाम इसलिए दिया गया क्योंकि उन्होंने चंद्रमा (सोम) को अपने सिर पर धारण किया था। चंद्रमा की कथा यह है कि वह अपनी पत्नी रोहिणी के साथ बहुत ही सुखी जीवन जी रहे थे। लेकिन चंद्रमा की एक और पत्नी तारा भी थी, जो एक ऋषि की पत्नी थी। चंद्रमा तारा से प्रेम करने लगे और उन्हें अपने साथ ले गए। इससे रोहिणी बहुत दुखी हुई और उसने अपने पिता दाक्ष प्रजापति से शिकायत की। दाक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को शाप दिया कि वह धीरे-धीरे कम होता जाएगा और अंत में पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा। इसके बाद चंद्रमा ने अपने शाप को दूर करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव ने चंद्रमा की प्रार्थना सुनी और उन्हें अपने सिर पर धारण कर लिया। इससे चंद्रमा का शाप दूर हो गया और वह फिर से पूर्ण हो गया। इस घटना के बाद भगवान शिव को सोमेश्वर नाथ का नाम दिया गया, जिसका अर्थ है चंद्रमा के भगवान। कथा में इस दौरान कई लोग मौजूद रहे।