*****– उझानी बदांयू 29 नवंबर।
सड़कों पर ओवरलोड ट्रैक्टर-ट्रालियों से अक्सर हादसे होते हैं। यातायात व्यवस्था भी प्रभावित होती है, मगर हैरत की बात है कि परिवहन विभाग की नजर में व्यावसायिक पंजीकरण वाले ट्रैक्टर-ट्रालियों की संख्या महज 15 है। जबकि सैकड़ों की संख्या में ऐसे वाहन दौड़ रहे हैं। कल शाम बाइपास पर एक बालिका की मौत की भी अवैध खनन व ओवरलोडिंग ट्रेक्टर ट्राॅली जिम्मेदार है। अगर परिवहन विभाग व पुलिस चाहती तो जिले में अवैध रेता खनन व ओवर लोडिंग की समस्या से लोगों को निजात मिल सकती है। अफसोस कि अफसर नींद में है।
जिले में करीब 100 से अधिक ईंट भट्ठे हैं। प्रत्येक भट्ठे पर कम से कम 2 से तीन ट्रैक्टर-ट्राॅली लगे हैं। अधिकांश वाहनों का व्यावसायिक पंजीकरण नहीं है। भट्ठा मालिक बिना पंजीकरण कराए ट्रैक्टर-ट्राॅली से सड़कों पर ईंटें ढो रहे हैं। इसके अलावा सैकड़ों की संख्या में सीमेंट, सरिया, टेंट आदि दुकानें हैं। प्रत्येक दुकान पर एक से दो ट्रैक्टर-ट्राॅली तक सामान ढोने के लिए लगे हैं। इनका भी व्यावसायिक पंजीकरण नहीं है।
सबसे ज्यादा संख्या मिट्टी व रेता खनन करने वाले ट्रैक्टर ट्रॉलीयों की है। जिसे परिवहन विभाग आर्थिक समझोते के तहत अनदेखा करता रहता है।
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बनते है हादसों की वजह
सड़कों पर जो हादसे हो रहे हैं, उनका एक बड़ा कारण ये ट्रैक्टर-ट्रॉलियां भी हैं। करीब 10 प्रतिशत ऐसे हादसे हैं, जिनमें ईंटा, बालू या फिर मिट्टी ढोने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली ही वजह होते हैं। बालू खनन में ऐसे ही ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का धड़ल्ले से प्रयोग किया जाता है।————————————– राजेश वार्ष्णेय एमके
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