3:56 am Wednesday , 29 January 2025
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उझानी खतरे में जान- घरों में चल रहे अस्पताल, आग से बचाव का रैंप न पानी के टैंक

उझानी बदांयू 19 नवंबर।

झांसी में हुए अग्निकांड के बाद उझानी में अस्पतालों के मानकों पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई अस्पताल तो ऐसे हैं, जहां छह मीटर का रास्ता तक नहीं हैं। बिना मानकों के ही जिम्मेदारों ने अस्पतालों को लाइसेंस दे दिए हैं।

नगर में अस्पताल के नाम पर मजाक हो रहा है। घरों में अस्पताल खोल लिए हैं। इनमें आग से निपटने और चिकित्सकीय मानक भी पूरे नहीं है। आग की घटना होने पर बचाव के इंतजाम में रैंप, आग बुझाने के लिए उपकरण और पानी का टैंक तक नहीं बने हैं। इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग ने इन अस्पतालों को लाइसेंस जारी कर दिए हैं।

नगर में कुछ गिने-चुने अस्पताल ही स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकीय संस्थान पंजीकृत हैं, जबकि अपंजीकृत अस्पताल गली मुहल्लों में संचालित हो रहे हैं। इनमें से करीब 30 फीसदी अस्पताल घरों में चल रहे हैं। पंजाबी कालोनी, बदायूं रोड, बिल्सी रोड, पंखा रोड , बाईपास , बरेली मथुरा हाइवे, पर यह समस्या अधिक है। इनमें चिकित्सकीय मानकों के हिसाब से इमारत नहीं बनी है। आवासीय भवनों में ही अधिकांश अस्पताल चल रहे हैं।
इन अस्पतालों में स्मॉक डिटेक्टर, अतिरिक्त निकास मार्ग तक नहीं है। अस्पतालों में आग बुझाने के लिए पानी का टैंक भी नहीं बनाया है। फायर फाइटिंग सिस्टम भी नहीं लगे हैं। आग बुझाने के नाम पर सिलिंडर रखकर औपचारिकता की जा रही है। इससे यहां आग की घटना होने पर मरीजों की जान का खतरा बना हुआ है।
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15 मीटर से कम ऊंचाई वाले भवनों में संचालित अस्पतालों में ये होने चाहिए मानक।******——– 1-पहुंच मार्ग अस्पताल में 6 मीटर का रास्ता हो, जिससे अग्निशमन वाहन आसानी से पहुंच सके। 2-निकास मार्ग 1.2 मीटर की चौड़ाई का अतिरिक्त निकास मार्ग होना चाहिए, जिससे आपात स्थिति में उतर सकें। 3- धुएं का प्रबंधन धुएं में दम घुटने से ज्यादा मौत होती हैं, ऐेसे में प्राकृतिक वेंटिलेशन और धुएं को निकालने के लिए एग्जॉस्ट सिस्टम होने चाहिए। 4- पानी का टैंक अस्पताल में 75 हजार लीटर पानी की क्षमता का टैंक होना चाहिए। इसे भूमिगत-छत पर बना सकते हैं। 5- स्प्रिंकलर सिस्टम अस्पतालों में स्प्रिंकलर सिस्टम भी नहीं लगे हैं कि आग पर पानी की बौछार कर बुझा दें।—————————- राजेश वार्ष्णेय एमके।