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मेला ककोडा- आस्था, उमंग और उल्लास-दिख रहे संस्कृति के विभिन्न रंग, रंगबिरंगी लाइटों से धरती पर उतरा आसमान

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बदांयू 13 नवंबर।
कार्तिक पूर्णिमा पर लगा गंगा की तलहटी में रूहेलखंड के मिनी कुंभ मेला ककोडा में आस्था के साथ ही विभिन्न संस्कृतियों का भी संगम है। मेले में कहीं साधु संत भक्तिभाव में लीन हैं, तो किसी स्थान पर भंडारा चल रहा है। सभी खुले आसमान के नीचे पुण्य कमाने के लिए पतित पावनी की गोद में डेरा डाले हुए हैं। मेले को यादगार बनाने के लिए भव्य सांस्कृतिक मंच बनाया है। जिसमें 400 से अधिक श्रद्धालुओं के बैठने का प्रबंध किया गया है, जहां चार दिन तक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।

कल गंगा मैया मैं मेला उदघाटन के बाद श्रृद्धालुओं की भीड बढ़ती चली जाएगी। पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में केन्द्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा मेला ककोडा का विधिवत उदघाटन करेंगे।
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मेला ककोडा में आस्था है। उमंग है। उल्लास है। संस्कृति के भी विभिन्न रंग हैं। परंपरा और आधुनिकता की बहार भी है। गरीब और अमीर सभी एक उद्देश्य के लिए पहुंचे हैं। शहर और ग्रामीण संस्कृति का संगम है। कहीं ढोल की थाप पर लोग झूम रहे हैं, तो कहीं जादू देख हैरान हैं। मिक्की माउस पर खेलते बच्चे हैं, तो युवाओं की टोली भी गंगा रेती पर मस्ती करती दिख रही है।
झूले, सर्कस में करतब से पिकनिक का पूरा माहौल बना है। कार्तिक पूर्णिमा पर ककोडा में पतित पावनी गंगा किनारे लग रहे गंगा मेले में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। ट्रैक्टर-ट्राॅलियों, टाटा मैजिक बैलगाड़ी व अन्य वाहनों से लोगों का ककोडा मेला पहुंचना जारी है।
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लाखों श्रद्धालु पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य कमा रहे हैं। शहर से लेकर गांव तक के लोग डेरे तंबू लगाए हुए हैं। मेले में आए बच्चे और युवा चाट-पकौड़ी का आनंद ले रहे है।
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रंग बिरंगी लाइटों ने श्रद्धालुओं का मन मोहा
ककोडा में गंगा किनारे लगा कार्तिक पूर्णिमा मेला रंग बिरंगी रोशनी से जगमग हो गया है। 6 से 7 किलोमीटर के दायरे में फैले मेले में शाम को रंग बिरंगी रोशनी की लाइट जलते ही रौनक दौड़ जाती है। झूले और हिंडोलों पर चमक रहीं विभिन्न रंगों की लाइट मेले की सुंदरता को और बढ़ा रही है। मेले में रंग बिरंगी लाइटों को देखकर आभास हो रहा है कि आसमान में तारे चमक रहे हों।
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कार्तिक पूर्णिमा पर लगे ककोडा मेले में इस बार रोशनी के विशेष इंतजाम किए गए। शाम को छह बजे लाइट जलीं तो मेला जगमग हो उठा। श्रद्धालुओं के शिविरों से लेकर अधिकारी-कर्मचारियों के शिविर जगमग हो गए। लाइटों की रोशनी में गंगा किनारे तंबुओं का शहर बेहद आकर्षक नजर आ रहा था।
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मनोरंजन के साधन झूला, हिंडोला, वैगन ट्रेन दूर से साफ दिखाई दे रही थीं। दूधिया रोशनी से नहाए मेले को देख लग रहा था, जैसे धरती पर आसमान उतर आया हो। आसमान में उड़ रहे बड़े गुब्बारे मेले की सुंदरता को और बढ़ा रहे हैं। वहीं दिन भर गाए जा रहे मां गंगा के भजन कानों में भक्तिरस घोल रहे हैं।——————