8:13 am Friday , 31 January 2025
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मथुरा में यम द्वितीया पर श्रद्धालुओं का रेला, आज स्नान करने से अकाल मृत्यु से मिलती है मुक्ति

श्रद्धालुओं ने डाला रात से ही डेरा।——————
भाई दूज पर लाखों श्रद्धालु यमुना में आस्था की डुबकी लगाएंगे। यमुना महारानी और धर्मराज का पूजन होगा।

मथुरा में यम द्वितीया पर्व रविवार को मनाया जाएगा। देशभर से आने वाले लाखों श्रद्धालु यमुना में आस्था की डुबकी लगाएंगे और यमुना महारानी और धर्मराज का पूजन करेंगे। यम की फांस से मुक्ति पाने की अभिलाषा लिए गुजरात, महाराष्ट्र एवं बिहार सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं ने शनिवार को मथुरा में डेरा डाल दिया है। श्रद्धालु रविवार भोर में ये यमुना में डुबकी लगाएंगे।
शहर के विश्राम घाट सहित उसके आसपास के सभी घाटों पर नगर निगम ने श्रद्धालुओं के सुरक्षित और सुगम यमुना स्नान के लिए बल्लियों से बैरीकेडिंग की है। यमुना में 10 से 15 फीट तक श्रद्धालुओं के स्नान के लिए बल्लियां लगाई गई हैं। इसके बाद यमुना के गहरे पानी की जानकारी श्रद्धालुओं के देने के लिए जगह-जगह सचेतक बोर्ड लगाए गए हैं। इसके अलावा घाटों पर महिला एवं पुरुष पुलिसकर्मी और 20 गोताखोर लगाए हैं।

महिलाओं को कपड़े बदलने के लिए यमुना के दोनों ओर 10 अस्थायी चेंजिंग रूम भी बनाए हैं। विश्राम घाट और उससे सटे राजा घाट पर खोया-पाया केंद्र एक दिन पहले ही सक्रिय हो गया है। नगर निगम द्वारा घाटों पर सफाई, विद्युत प्रकाश के लिए एलईडी लाइट लगाई गई है। सफाई के लिए देर शाम से भी टीमों ने काम करना शुरू कर दिया है। निगरानी के लिए यमुना के घाटों पर कर्मचारी तैनात किए गए हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि वह निर्धारित स्थान पर ही स्नान करें।
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भाई-बहन हाथ पकड़कर लगाते हैं यमुना में डुबकी
भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार भैयादूज रविवार को देश भर में मनाया जा रहा है लेकिन मथुरा में इसकी अलग ही मान्यता है। यहां इस दिन यम की फांस से मुक्ति की कामना लेकर भाई-बहन यमुना में डुबकी लगाते हैं। इसके बाद यमुना पूजन कर भाई-बहन विश्रामघाट पर धर्मराज और उनकी बहन यमुना का पूजन करते हैं।
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यमुना तट पुण्य विश्राम घाट पर भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी यमुना महारानी एवं उनके भाई धर्मराज का प्राचीन मंदिर है। मंदिर के सेवायत रामकुमार चतुर्वेदी के अनुसार यह विश्व का एकमात्र मंदिर है, जहां यमराज (धर्मराज) और उनकी बहन यमुनाजी एकसाथ विराजमान हैं। उन्होंने बताया कि यमुना महारानी का यह प्रथम घर है। यमुनाजी के घर जब उनके भाई यमराज आए तो उनका बहन ने सत्कार किया। जब यमराज जाने लगे तो बहन यमुनाजी ने उनका टीका किया। यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुनाजी ने भाई से भक्तों के कल्याण के लिए वरदान मांगा कि भाईदूज के दिन मथुरा के विश्राम घाट पर यमुना में स्नान कर पूजन करेगा और उनके मंदिर में आकर पूजन कर आशीर्वाद लेकर वह यमलोक न जाकर बैकुंठ लोक जाए। इस पर यमराज ने बहन को यह वरदान दिया। तभी से बहन यमुना के यहां आए यमराज को धर्मराज कहा जाता है। मंदिर के सेवायत रामकुमार ने बताया कि मंदिर में यमुना महारानी के चार भुजा हैं। इनमें एक हस्त में कमल, दूसरे भाई के लिए टीका, तीसरे हाथ में भोजन की थाली और चौथे हाथ में वह संकल्प ले रही हैं। यमुना के बराबर में विराजित धर्मराज के एक हाथ में दंड और दूसरे हाथ में यमुना महारानी को संकल्प दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि यमुना स्नान के बाद भाई बहन इनका दर्शन करते हैं। यमुना जी को वस्त्र, शृंगार सामग्री और धर्मराज को काला वस्त्र अर्पित करते हैं।—————-++++

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