3:23 am Friday , 31 January 2025
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मैं तो गोवर्धन को जाउंगी…. ना माने मेरो मनवा

गोवर्धन लीला

ब्रजवासी इंद्र को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ की तैयारी कर रहे थे। भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि आप इंद्र के लिए यज्ञ क्यों कर रहे हो । नंद बाबा ने कहा कि अगर हम इंद्र के लिए यज्ञ नही करेंगे तो इंद्र देवता वर्षा नहीं करेंगे। अगर इंद्र वर्षा नहीं करेंगे तो हमारे खेत में कुछ पैदा नहीं होगा ।

भगवान श्री कृष्ण ने कहा इंद्र देव का यह कर्तव्य है कि भगवान ने उसे यह सेवा दी है । अगर तुम्हें यज्ञ करना है तो गिरिराज गोवर्धन के लिए करो।

भगवन कृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को गिरिराज के लिए यज्ञ करने के लिए मना लिया।गिरिराज गोवर्धन भगवान विष्णु स्वरूप है । भगवान कृष्ण ने गिरिराज के लिए यज्ञ करके यह सिद्ध किया। अगर भगवान को प्रसन्न कर लिया जाए तो देवी देवताओं को प्रसन्न करने की आवश्यकता नहीं रह जाती।

प्रकृति का महत्व

श्रीमद्भागवत में गोवर्धन पूजा का प्रसंग यह सिद्ध करता है कि हमारे धर्म एवं शास्त्र कितने वैज्ञानिक हैं,

जिनमें प्रकृति के महत्व को भगवान की तरह पूजनीय बताया गया है। जो पहाड़, नदियां, झील, सरोवर, जंगल, हिमनद, कूप, बावड़ियां हमारी जरूरतें पूरी करते हैं प्राणी जगत को उनका आभार मानकर ईश्वर के समान पूजना चाहिए।

कोरोना काल में हमें ऑक्सिजन का महत्व समझा आया। हरियाली कम होने से ऑक्सीजन की कमी हो रही है, प्रदूषण के कारण मनुष्य को सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए आवश्यक है कि हम प्रकृतिक संसाधनों सहेज कर पौधारोपण करे, जल का अपव्यय रोकें, सरंक्षण करें।