8:14 am Friday , 31 January 2025
BREAKING NEWS

दिवाली पर उल्लुओं की जान को खतरा,जानें क्यों लोग बन जाते हैं जान के दुश्मन

*दिवाली पर उल्लुओं की जान को खतरा,जानें क्यों लोग बन जाते हैं जान के दुश्मन।********************** वन विभाग को करनी चाहिए उल्लुओं की रखवाली।———————————— उझानी बदांयू 29 अक्टूबर।
संरक्षित श्रेणी में आने वाले उल्लू की जान दिवाली के दौरान सांसत में रहती है। तंत्र पूजा के कारण दिवाली के दौरान उल्लू के शिकारियों के सक्रिय होने की आशंका है। इसे रोकने के लिए वन विभाग को पहरेदारी बढ़ा देनी चाहिए ।
सहसवान रेंज में लक्ष्मी का वाहन माने जाने वाले उल्लू की दो प्रजातियां मुआ और घुग्घू मौजूद हैं। मुआ पानी के आसपास और घुग्घू पुराने खंडहरों और पेड़ों पर रहते हैं। दोनों के नर-मादा एक जैसे होते हैं। नदी किनारे के टीलों पर, खंडहर और पेड़ों पर इनका दिखना आम बात है। वहीं दिवाली पर संपन्नता के लिए उल्लू की बलि का अंधविश्वास प्रचलित है। वजन, आकार, रंग, नाखून, पंख के आधार पर बलि के लिए उल्लू की तस्करी का खतरा बढ़ने से वन विभाग को इनकी पहरेदारी तेज कर देना चाहिए।

वन विभाग के रेंजर ने बताया कि उल्लू का वैज्ञानिक नाम स्ट्रिगिफोर्मिस है। ग्रामीणों को जागरूक किया गया है। उल्लू को मारने और पकड़ने वाले लोग दिखने पर सूचना देने के लिए प्रेरित किया है। हालांकि जिले में तस्करी के मामले अभी नहीं हुए हैं, फिर भी वन विभाग सतर्क है।
————————
मुआ- मुआ के ऊपर के पर कत्थई, दुम गहरी भूरे रंग की, गला सफ़ेद होता है। इसकी चोंच टेढ़ी और गहरी मटमैली हरी, पैर धूमिल पीले रंग के होते हैं। इनका भोजन चिड़िया, चूहे, मेंढक और मछलियां हैं। घुग्घू- घुग्घू के शरीर का रंग भूरा रहता है। आंख की पुतली पीली, चोंच सलेटी रंग की और पैर रोएंदार और काले होते हैं। यह चूहे, मेंढक और कौओं के अंडों को खाता है।
—-********———–

पौराणिक कहानियों में उल्लू को बुद्धिमान माना गया है। उल्लू धन की देवी लक्ष्मी का वाहन बताया गया है। हिंदू संस्कृति में माना जाता है कि उल्लू समृद्धि और धन लाता है।
—————————-
हो सकती है तीन साल की सजा
भारतीय वन्य जीव अधिनियम, 1972 की अनुसूची एक के तहत उल्लू संरक्षित श्रेणी का पक्षी है। उल्लू के शिकार या तस्करी पर कम से कम तीन वर्ष सजा का प्रावधान है।—————–*-

*उल्लू के बारे में जानें********************
उल्लू अपने सिर को दोनों तरफ 135 डिग्री तक घुमा सकता है। पलकें नहीं होने के कारण इनकी आंखे हरदम खुली रहती हैं। उल्लू के पंख चौड़े और शरीर हल्का होने के कारण उड़ान के समय आवाज नहीं होती।———————————- राजेश वार्ष्णेय एमके।